________________
२७७
अभिधानचिन्तामणौ तिर्यकाण्डः ४ २७७ सन्दानिनी तु गोशाला, चित्रशाला तु जालिनी। कुम्भशाला पाकपुटी, तन्तुशाला तु गतिका ॥ ९९९ ॥ नापितशाला वपनी, शिल्पा खरकुटी च सा। आवेशनं शिल्पिशाला, सत्रशाला प्रतिश्रयः ॥ १००० ॥ आश्रमस्तु मुनिस्थानमुपन्नस्त्वन्तिकाश्रयः। प्रपा पानीयशाला स्यात् , गजा तु मदिरागृहम् ॥ १००१ ॥
गायोनु स्थान, शा. चित्रशाला-चित्रशालम्, जालिनी से २Nिauu. कुम्भशाला-कुम्भशालम् , पाकपुटी से २-मारने। Eleust, भाटीनi पास ५४२११ानुं स्थान. तन्तुशाला-तन्तुशालम् , गर्तिका से २-४१५७ पशुपानुस्थान, तन्तुशाला ॥ce ॥ नापितशाला-नापितशालम् , वपनी, शिल्पा, खरकुटी से ४-लमतनु स्थान (३२४टी सदुन्). आवेशनम् , शिल्पिशाला-'शिल्पशाला' मे. २-शिल्पीमाती , सोनी बगेरे ॥५शनु स्थान. सत्रशाला-सत्रशालम् , प्रतिश्रयः मे २-शनी हाना . ॥ १००० ॥ आश्रमः (५. न.) मुनिस्थानम् से २-भुनिभानु स्थान, पाश्रम. उपनः, अन्तिकाश्रयः मे २-पासेना माश्रय, सग Enो आधार, 312ीनु ध२. प्रपा, पानीयशाला-पानीयशालम् मे २-५२५. गजा, मदिरागृहम् मे २-३ पापानु स्थान. ॥१००१ ॥ पक्वणः (५. न.), शबरावासः से २ लातार्नु २९४y.