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अहम्
अहम्... -V.ii. 140 देखें- अहंशुभमो: V. ii. 140 अहंशुभमो: - V. ii. 140
अहम् तथा शुभम् प्रातिपदिकों से (मत्वर्थ में युस प्रत्यय होता है)। अहः... -II.1.44
देखें- अहोरात्रावयवाः II.i. 44 अहः ...-II. iv. 28
देखें- अहोरात्रे II. iv. 28 ...अहः ... -v.i. 86
देखें - रात्र्यहस्संवत्स V.1.86 .. ...अहः ... - V. iv. 91
देखें- राजाहःसखिभ्य: V. iv. 91 ...अहः ... -VI. 1. 33
देखें-वय॑मानाहोरात्रा. VI. 1. 33 अहसर्वकदेशसङ्ख्यातपुण्यात् -v.iv.87 ' अहर, सर्व, एकदेशवाचक शब्द, सङ्ख्यात तथा पुण्य शब्दों के आगे (तथा सङ्ख्या और अव्यय के आगे भी जो रात्रि शब्द, तदन्त तत्पुरुष से समासान्त अच् प्रत्यय होता
अहीय.. - V. iv.45
देखें- अहीयरुहो: V. iv. 45
अहीयरुहो: - V.iv. 45 ___ (अपादान कारक में भी जो पञ्चमी,तदन्त से तसि प्रत्यय विकल्प से होता है, यदि वह अपादान कारक) हीय और रुह सम्बन्धी न हो तो। ...अहे: - IV. iii. 56 -
देखें-दृतिकुक्षिकलशिo Vii. 56 ...अहे: -VIII. 1.39
देखें-तुपश्यपश्यताहै: VIII. 1. 39 अहो -VIII. I. 40
अहो शब्द से युक्त (तिङन्त को भी पूजाविषय में . ' अनुदात्त नहीं होता)। अहोरात्रावयवा: -II.i. 44 दिन के अवयववाची तथा रात्रि के अवयववाची (सप्तम्यन्त सुबन्त) शब्द (क्तान्त समर्थ सुबन्त के साथ विकल्प : से समास को प्राप्त होते हैं और वह समास तत्पुरुष संज्ञक होता है)। अहोरात्रे -II. iv. 28
अहन और रात्रि शब्दों का (द्वन्द्व समास में छन्द विषय में पूर्वपद के समान लिङ्ग होता है)। , ...अहौ-VII. ii. 94
देखें -स्वाही VII. 1. 94 अहः-V. iv. 88 (इन सङ्ख्यावाची,अवयववाची तथा सर्व,एकदेशवाचक शब्द,सङ्ख्यात और पुण्य शब्द से उत्तर) अहन् शब्द के स्थान में (समासान्त अह्न आदेश होता है,तत्पुरुष समास में)। अहः-V. iv. 88 (इन सङ्ख्यावाची, अवयववाची तथा सर्व,एकदेशवाचक शब्द,सङ्ख्यात और पुण्य शब्द से उत्तर अहन शब्द के स्थान में समासान्त) अह्न आदेश होता है, (तत्पुरुष समास में)। अहः-VI. iv. 145
अहन् अङ्ग के (टि भाग का ट तथा ख तद्धित प्रत्यय परे रहते ही लोप होता है)।
अहर्... - V. iv. 42
देखें- अहसर्वक० V. iv. 42 अहरणे-VI. ii.65
हरण शब्द को छोड़कर (धर्म्यवाची शब्दों के परे रहते सप्तम्यन्त तथा हारिवाची पूर्वपद को आधुदात्त होता है)। ...अहर्दिव... -Viv.77
देखें-अचतुर० V. iv.77 ...अहलोपे - VIII. i. 62
देखें-चाहलोपे VIII.i.62 अहस्त्यादिभ्यः - V. iv. 138
(उपमानवाचक) हस्त्यादिवर्जित प्रातिपदिकों से उत्तर (जो पाद शब्द,उसका समासान्त लोप हो जाता है,बहुव्रीहि समास में)। ...अहा: -II. iv.29
देखें-रात्राहाहाः II. iv.29 अहीने -Iii. 47 हीन = त्यक्त,जहाँ से विभक्त हो चुका हो,उससे भिन्न अर्थ के वाचक समास में (क्तान्त उत्तरपद रहते द्वितीयान्त पूर्वपद को प्रकृतिस्वर हो जाता है)।
(अदन्त पूर्वपद में स्थित निमित्त से उत्तर) अहन के (न कोण आदेश होता है)।