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अवृद्धात्
अव्ययम्
अवृद्धात् - IV.ii. 124 (जनपद तथा जनपदसीमावाची) वृद्धसंज्ञाभिन्न (तथा वृद्ध भी बहुवचनविषयक) प्रातिपदिकों से (शैषिक वुज प्रत्यय होता है)। अवृद्धाभ्यः -IV.I. 113 जिनकी वृद्धसंज्ञा न हो, ऐसे (नदी तथा मानुषी अर्थ
न वाले; नदी, मानुषी नाम वाले) प्रातिपदिकों से (अपत्य अर्थ में अण् प्रत्यय होता है)। अवे-III. ii. 72
अव उपसर्ग उपपद रहते (यज गत से मन्त्र विषय में 'ण्विन्' प्रत्यय होता है)। अवे-III. iii. 51 . (वर्षा के समय में भी वर्षा का न होना अभिधेय होने पर) अव उपसर्ग पूर्वक (ग्रह धातु से कर्तृभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में विकल्प से घञ् प्रत्यय होता है)। अवे-III. iii. 120
अव उपसर्ग पूर्वक (त, स्तृञ् धातुओं से करण और अधिकरण कारक में प्रायः करके घञ् प्रत्यय होता है, संज्ञाविषय हो तो)।
अवे: -V. iv. 28 - अवि प्रातिपदिक से (स्वार्थ में क प्रत्यय होता है)। ....अवेभ्यः -I. iii. 18
देखें - परिव्यवेभ्यः I. iii. 18 अवोद.. -VI. iv.29 - देखें - अवोदैधौ० VI. iv. 29 . अवोदैधौद्मप्रथहिमश्रथा: - VI. iv. 29
अवोद, एध, ओद्म, प्रश्रथ तथा हिमश्रथ - ये शब्द निपातन किये जाते हैं।
अवोदोः -III. iii. 26 'अव और उद् पूर्वक (णी धातु से कर्तृभिन्न संज्ञा तथा भाव में घञ्प्रत्यय होता है)। अव्यक्तानुकरणस्य-VI.1.95
अव्यक्त के अनुकरण का (जो अत् शब्द, उससे उत्तर इति शब्द परे रहते पूर्व पर के स्थान में पररूप एकादेश होता है, संहिता के विषय में)। अव्यक्तानुकरणात् - V. iv.57
अव्यक्त शब्द के अनुकरण से (जिसमें अर्धभाग दो अच् वाला हो ; उससे कृ,भू तथा अस के योग में डाच प्रत्यय होता है, यदि इति शब्द परे न हो तो)।
...अव्यथ.. -III. ii. 157
देखें-जिदृक्षिः III. ii. 157 ...अव्यथन.... - V.iv.46
देखें-अतिग्रहाव्यथन V.iv.46 अव्यथिष्य -III. iv. 10 (प्रयै.रोहिष्य तथा) अव्यथिष्य शब्द वेद-विषय में (प्रय, तुमर्थ में निपातन किये जाते है)। ...अव्यथ्या: - IILI. 114
देखें- राजसूयसूर्य० III. 1. 114 अव्यपरे -VI.i. 111
वकार, यकारपरक भिन्न अकार परे रहने पर (पाद के मध्य में वर्तमान एङ को प्रकृतिभाव होता है)। ...अव्यय..-II. ii. 11
देखें- पुरणगुणसुहितार्थ II. ii. 11 अव्यय.. -II. 1.25
देखें-अव्ययासन्नादूरा II. II. 25 ...अव्यय... -II. iii. 69
देखें-लोकाव्ययनिष्ठा0 II. iil. 69 अव्यय... - V. iii. 71
देखें - अव्ययसर्वनाम्नाम् V. iii. 71 ...अव्यय.. -VI. 1.2 ' देखें-तुल्यार्थ० VI. ii.2 अव्यय... -VI. ii. 168
देखें-अव्ययदिक्शब्दO VI. ii. 168 ...अव्ययघात् - V. iv. 11
देखें-किमेतिङov.iv. 11 अव्ययदिक्शब्दगोमहत्स्थूलमुष्टिपथुवत्सेभ्यः -
VI. ii. 168 (बहुव्रीहि समास में) अव्यय,दिक्शब्द,गो,महत्, स्थूल, मुष्टि, पृथु, वत्स-इनसे उत्तर (स्वाङ्गवाची मुख शब्द उत्तरपद को अन्तोदात्त नहीं होता)। अव्ययम् -I.i. 36
(स्वरादिगणपठित शब्दों की तथा निपातों की) अव्यय संज्ञा होती है। अव्ययम् - I. iv.66
अव्यय (पुरस् शब्द क्रियायोग में गति और निपात संज्ञक होता है)।