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•अन्यतरस्याम्
अन्यतरस्याम्
अन्यतरस्याम् - IV. iii. 81
(पञ्चमीसमर्थ हेतु तथा मनुष्यवाची प्रातिपदिकों से 'आगत' अर्थ में) विकल्प से (रूप्य प्रत्यय होता है)। अन्यतरस्याम् -IV. iv.54
(प्रथमासमर्थ शलालु प्रातिपदिक से 'इसका बेचना' विषय में) विकल्प से (ष्ठन् प्रत्यय होता है)। अन्यतरस्याम् - IV. iv. 56 (शिल्पवाची प्रथमासमर्थ मड़क तथा झर्झर प्रातिपदिकों से) विकल्प से (षष्ठ्यर्थ में अण प्रत्यय होता है)। अन्यतरस्याम् - IV. iv. 68 (प्रथमासमर्थ भक्त प्रातिपदिक से 'इसको नियत रूप से दिया जाता है',अर्थ में) विकल्प से (अण् प्रत्यय होता
अन्यतरस्याम् - V.i. 26
(शर्प प्रातिपदिक से 'तदर्हति' पर्यन्त कथित अथों में) विकल्प से (अञ् प्रत्यय होता है)। अन्यतरस्याम् - V.i. 52 (द्वितीयासमर्थ आढक. आचित तथा पात्र प्रातिपदिकों से 'सम्भव है'.'खाता है'. 'पकाता है' अर्थों में) विकल्प से (ख प्रत्यय होता है)। अन्यतरस्याम् -v.ii. 56 (षष्ठीसमर्थ सङ्ख्यावाची विंशति आदि प्रातिपदिकों से 'पूरण' अर्थ में विहित डट् प्रत्यय को)विकल्प करके (तमट् आगम होता है)। अन्यतरस्याम् -V.ii.96 (प्राणिस्थवाची आकारान्त प्रातिपदिक से मत्वर्थ' में) विकल्प से (लच् प्रत्यय होता है)। अन्यतरस्याम् -v.ii. 109
(केश प्रातिपदिक से 'मत्वर्थ' में) विकल्प से (व प्रत्यय होता है)। अन्यतरस्याम् -Vii. 136 (बलादि प्रातिपदिकों से 'मत्वर्थ' में) विकल्प से (मतप प्रत्यय होता है)। अन्यतरस्याम् - V. iii. 6
(सर्व शब्द के स्थान में) विकल्प से (स आदेश होता है,दकारादि विभक्ति के परे रहते)। अन्यतरस्याम् - V. iii. 21 (सप्तम्यन्त किम्, सर्वनाम और बहु प्रातिपदिकों से) विकल्प से (हिल प्रत्यय होता है, अनद्यतन कालविशेष को कहना हो तो)।
अन्यतरस्याम् -V.iii.35 दिशा. देश और काल अर्थों में वर्तमान पञ्चम्यन्तवर्जित सप्तमी, प्रथमान्त दिशावाची उत्तर और दक्षिण प्रातिपदिको से) विकल्प से (एनप प्रत्यय होता है. निकटता गम्यमान हो तो)। अन्यतरस्याम् – v. iii. 44
(एक प्रातिपदिक से उत्तर जो धा प्रत्यय,उसके स्थान में) विकल्प से (ध्यमुब आदेश होता है)। अन्यतरस्याम् - V. iii. 64 (यव और अल्प शब्दों के स्थान में) विकल्प से (कन् आदेश होता है, अजादि अर्थात् इष्ठन् और ईयसुन् प्रत्यय परे रहते)। अन्यतरस्याम् - V. iii. 109
(एकशाला प्रातिपदिक से इवार्थ में) विकल्प से (ठच प्रत्यय होता है)। अन्यतरस्याम् -V.iv.42
(बहुत' तथा 'थोड़ा' अर्थ वाले कारकाभिधायी प्रातिपदिकों से) विकल्प से (शस् प्रत्यय होता है)। अन्यतरस्याम् -V.iv. 105 (कु तथा महत् शब्द से परेजो ब्रह्मन् शब्द,तदन्त तत्पुरुष से) विकल्प से (समासान्त टच प्रत्यय होता है)। अन्यतरस्याम् - V. iv. 109 (नपुंसकलिङ्ग में वर्तमान जो अन्नन्त अव्ययीभाव, तदन्त से समासान्त टच प्रत्यय) विकल्प से होता है)। अन्यतरस्याम् - V. iv. 121 (नज,दुस् तथा सु शब्दों से उत्तर जो हलि तथा सक्थि शब्द,तदन्त बहुव्रीहि से समासान्त अच् प्रत्यय) विकल्प से (होता है)। अन्यतरस्याम् -VI..38 (वय् धातु के यकार को कित् लिट् परे रहते) विकल्प से (वकारादेश भी हो जाता है)। अन्यतरस्याम् -VI.i. 58 (उपदेश में जो अनुदात्त तथा ऋकार उपधावाली धातु, उसको अम आगम) विकल्प से (होता है. अकित झलादि प्रत्यय के परे रहते)। अन्यतरस्याम् -VI. I. 163
(अनित्य समास में अन्तोदात्त एकाच उत्तरपद से उत्तर ततीयादि विभक्ति) विकल्प से (उदात्त होती है)।