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हरु
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हरु -VII. . 31
(हवृकौटिल्ये' धातु को निष्ठा परे रहते वेदविषय में) हरु आदेश होता है। हादः-VI. iv.95
ह्राद् अङ्गकी (उपधा को निष्ठा परे रहते हस्व हो जाता
ह-I. iii. 30
(नि,सम,उप तथा वि उपसर्गपूर्वक) (धातु से (आत्मनेपद होता है)। ...:-III.1.53
देखें-लिपिसिचिहः III.i. 53 हू-III. iii. 72 . (नि, अभि, उप तथा वि पूर्वक) हेज् धातु से (कर्तृभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में अप् प्रत्यय होता है तथा हे को सम्प्रसारण भी हो जाता है)।
-VI. I. 32 . (सन्परक चङ्परक णि के परे रहते) हे धातु को (सम्प्र- सारण हो जाता है तथा अभ्यस्त का निमित्त जो हृञ् धातु,
___ उसको भी सम्प्रसारण हो जाता है)। ...हर... -II. iv. 80
देखें-घसरणश० II. iv. 80 हरित-VII. ii. 33
हरित शब्द वेदविषय में सोमवाच्य होने पर) निपातन किया जाता है। हरेः-VII. ii. 31
हवृ कौटिल्ये धातु को (निष्ठा परे रहते वेदविषय में हरु आदेश होता है)। हा... -III. 1.2
देखें-हावामः III. 1.2 ...हा... -VII. iii.37
देखें-शाच्छासाo VII. ifi. 37 हावाम: -III. 1.2
ह्वेज,वेज,माङ्-इन धातुओं से (भी कर्म उपपद रहते अण् प्रत्यय होता है)।
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