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________________ हस्क ह्रस्वः - VII. iii. 107 (अम्बा = मां अर्थ वाले अगों को तथा नदीसलक अङ्गों को सम्बुद्धि परे रहते) ह्रस्व हो जाता है। ह्रस्व- VIL III. 114 (आवन्त सर्वनाम अङ्ग से उत्तर ङित् प्रत्यय को स्याट् आगम होता है तथा उस आबन्त सर्वनाम को) ह्रस्व भी हो जाता है। ह्रस्व- VII. in. 1 (चङ्परक णि के परे रहते अङ्ग की उपधा को) ह्रस्व होता है। -VII. iv. 12 (शू, दृ तथा पृ अङ्ग को लिट् परे रहते विकल्प से) ह्रस्व होता है। हस्य- VII. . 23 (उपसर्ग से उत्तर 'ऊह वितकें' अङ्ग को यकारादि कि, ङित् प्रत्यय परे रहते) ह्रस्व होता है। -VII. iv. 59 (अङ्ग के अभ्यास को) हस्व होता है। ह्रस्वदीर्घप्लुतः III. 27 (ठकाल, ऊकाल तथा उ3काल अर्थात् एकमात्रिक, द्विमात्रिक तथा त्रिमात्रिक अच् की यथासंख्य करके) हस्व, दीर्घ और प्लुत संज्ञा होती है। ह्रस्वनद्याप - VII. 1. 54 ह्रस्वान्त, नद्यन्त तथा आप् अन्तवाले अङ्ग से उत्तर (आम् को नुट् का आगम होता है)। हस्वनुभ्याम् VI. I. 170 - ( अन्तोदात्त) हस्वान्त तथा नुट् से उत्तर ( मतुप् प्रत्यय उदात्त होता है)। हस्यम् - 1. Iv. 90 ह्रस्व अक्षर (लघुसञ्ज्ञक होता है)। 580 . ह्रस्वस्य - VII. III. 108 ह्रस्वान्त अङ्ग को सम्बुद्धि परे रहते गुण होता है)। ...हस्यात् - VI. 1. 67 देखें - एड्स्वात् VI. 1. 67 ह्रस्वात् - VI. 1. 146 ह्रस्व शब्द से उत्तर (चन्द्र शब्द उत्तरपद हो तो सुटु का आगम होता है, मन्त्रविषय में संहिता में)। हस्वात् VIII II 27 ह्रस्वान्त (अङ्ग) से उत्तर (सकार का झल् परे रहते लोप होता है। हस्वात् - VIII III. 32 ह्रस्व पद से उत्तर (जो डम्, तदन्त पद से उत्तर अच् को नित्य ही डमुट् आगम होता है)। हस्वात् VIIL III. 101 ह्रस्व (इण्) से उत्तर सकार को तकारादि तद्धित के परे रहते मूर्धन्य आदेश होता है)। ह्रस्वादेशे -1.1.47 ह्रस्वादेश के करने में (ए स्थान में इक् हस्वान्ते - VI. II. 174 = ..हीभ्यः = इ, उ, ऋ, लृ ही होता है। (नम् तथा सु से उत्तर बहुव्रीहि समास में) हस्वान्त उत्तरपद में (अन्त्य से पूर्व को उदात्त होता है)। ....... - III. 1. 39 देखें - भीहीभृहुवाम् III. 1. 39 ....डी ... - VI. 1. 186 देखें- पीडी VI. 1. 186 हस्वस्य - V. 1. 69 ह्रस्वान्त धातु को (पित् तथा कृत् प्रत्यय के परे रहते हीभ्यः : तुक् का आगम होता है। ए. ओ. ऐ. औ के हवे - V. 1. 86 'छोटा' अर्थ में (वर्तमान प्रातिपदिक से यथविहित प्रत्यय होते हैं)। ...ही ... - VII. iii. 36 देखें - अतिहीo VIL. III. 36 ... ह्रीभ्यः - VIII. 11. 56 देखें नुदविदोन्द VIII. 1. 56
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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