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साल्वेय..
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अश्मक = दक्षिण में एक देश.उस देश के निवासी। सिन्-I. 1. 14 साल्वेय.. - IV.i.167
(हन् धातु से परे) सिच् प्रत्यय (आत्मनेपदविषय में देखें-साल्वेयगान्धारिष्याम् IV. 1. 167
कित्वत् होता है)। साल्वेयगान्धारिभ्याम्-IV. 1. 167
सिच्- III. 1. 44 (जनपदवाची क्षत्रियाभिधायी साल्वेय तथा गान्धारि (च्लि के स्थान में) सिर शब्दों से (भी अपत्य अर्थ में अञ् प्रत्यय होता है)। सिच..-III. iv. 107. ...साववर्ण...-VI.1.176
देखें-सिजभ्यस्त III. iv. 107 देखें- गोश्व VI. 1. 176
...सिच...-VI. iv.62 ...साहसिक्य..-I. II. 32
देखें- स्यसि VI. iv. 62 देखें- गन्धनावक्षेपणसेवन I. M. 32
...सिच..-III. ii. 182 ...साहिण्य-III.1. 138
देखें-दाम्नी III. ii. 182 देखें-लिम्पविन्द III. 1. 138 :
...सिच..-VIII. iii.65 माहान्-VI.1.12
देखें- सुनोतिसुवतिo VII. iii. 65 साहान् शब्द (छन्द तथा भाषा में सामान्य करके) निपा- सिच-II. iv.77 तन किया जाता है। ..
सिच् का (लुक् होता है; गा, स्था, षु सञ्जक, पा और ...सि...-III. 1. 159
भू-इन धातुओं से उत्तर परस्मैपद परे रहते)। देखें-दाधेट III. 1. 159
सिव- VI. 1. 181 ...सि..-VI.1.66
• सिच् अन्त वाला शब्द (विकल्प से आधुदात्त होता है)। देखें-सुतिसि.VI.1.66
...सिच-VII. 11.96 ...सि...-VII. 1.9
देखें- अस्तिसिचः VII. iii. 96 , देखें-तितु VII. 1.9
सिक- VIII. iii. 112 सि-VII. iv. 49
(डण तथा कवर्ग से उत्तरी सिच के (सकार को यङ परे (सकारान्त अङ्ग को) सकारादि (आर्धधातुक) के परे
रहते मुर्धन्य आदेश नहीं होता)।. रहते (तकारादेश होता है)।
...सिचि..-III.1.53 सि-VIII. 1.41
देखें-लिपिसिचिह्न III. 1.53 (षकार तथा ढकार के स्थान में क आदेश होता है मिति सकार परे रहते।
(परस्मैपदपरक) सिच के परे रहते (इगन्त अङ्ग को सि-VIII. 1. 29
वृद्धि होती है)। (डकारान्त पद से उत्तर) सकारादि पद को विकल्प से सिचि- VII. ii. 40 धु का आगम होता है।
(परस्मैपदपरक) सिच् परे रहते (भी वृ तथा ऋकारान्त सिकता..-V. 1. 104
धातुओं से उत्तर इट् को दीर्घ नहीं होता)। देखें-सिकताशर्कराभ्याम् V. 1. 104
सिचि-VII. 1.71 सिकताशर्कराभ्याम्-V. 1. 104
(असू धातु से उत्तर) सिच को (इट का आगम होता सिकता तथा शर्करा प्रातिपदिकों से (भी 'मत्वर्थ' में। अण प्रत्यय होता है।
...सिचो: - VII. II. 42
देखें-लिङ्सिचो: VII. II. 42