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सर्वेषाम्
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सर्वेषाम् – VII. iii. 100
(अद् अङ्ग से उत्तर हलादि अपृक्त सार्वधातुक को) सभी आचार्यों के मत में (अट् आगम होता है)। सर्वेषाम्- VIII. iii. 22
(भो भगो.अघो तथा अवर्ण पूर्ववाले पदान्त यकार का हल् परे रहते) सब आचार्यों के मत में (लोप होता है। सर्वैः-I. 1.72 .
(त्यदादि शब्दरूप) सबके साथ अर्थात् त्यदादियों के साथ या त्यदादि से अन्यों के साथ भी (नित्य ही शेष रह जाता है, अन्य हट जाते हैं)। सर्वैकान्यकियत्तदः- V. ii. 15
(सप्तम्यन्त) सर्व,एक, अन्य, किम्, यत् तथा तत् प्रातिपदिकों से (काल अर्थ में दा प्रत्यय होता है)। सलोप-II. 1. 11
(उपमानवाची सुबन्त कर्ता से आचार अर्थ में विकल्प से क्यङ् प्रत्यय होता है तथा सकारान्त शब्दों के) सकार का लोप (भी विकल्प से) होता है। सलोप:- VII. 1.79 . (सार्वधातुक में लिङ् लकार के अन्त्य) सकार का लोप . होता है। ...सवनादीनाम्- VIII. iii. 110
देखें- रपरसफिO VIII. iii. 110 सवर्णम्-1.1.9 - (मख में होने वाले स्थान और प्रयत्न तुल्य हों जिनके,
ऐसे वर्गों की परस्पर) सवर्ण संज्ञा होती है। ...सवर्ण...-1.1.57
देखें- पदान्तद्विर्वचनवरे० 1.1.57 सवर्णस्य-I.i. 68 . (अण एवं उदित) अपने सवर्ण का (भी ग्रहण कराते हैं.
प्रत्यय को छोड़कर)। सवणे-VI.1.97 (अक प्रत्याहार से उत्तर) सवर्ण (अच्) परे हो तो (पूर्व
और पर के स्थान में दीर्घ एकादेश होता है, संहिता के . विषय में)।
सवर्णे- VIII. iv.64
(हल् से उत्तर झर् का विकल्प से लोप होता है) सवर्ण (झर) परे रहते। सवाभ्याम्-III. iv.91
सकार, वकार से उत्तर (लोट-सम्बन्धी एकार के स्थान में यथासङ्ख्य करके व और अम् आदेश हो जाते है)। सविध...- VI. ii. 23 .
देखें-सविधसनीड VI. ii. 23 सविधसनीडसमर्यादसवेशसदेशेषु-VI. ii. 23
सविध, सनीड,समर्याद,सवेश,सदेश-इन शब्दों के उत्तरपद रहते (सामीप्यवाची तत्पुरुष समास में पूर्वपद को प्रकृतिस्वर होता है)। ....सवेश...-VI. ii. 23
देखें- सविधसनीड VI. ii. 23 ...सव्य..-VIII. iii.97
देखें- अम्बाम्ब VIII. iii.97 ससजुफः- VIII. ii. 66
सकारान्त पद तथा सजुष पद को (रु आदेश होता है। ससूव-VII. iv.74
ससूव (यह शब्द वेदविषय में निपातन किया जाता है)। सस्थानेन-V.iv. 10
(स्थानशब्दान्त प्रातिपदिकों से विकल्प से छ प्रत्यय होता है) यदि सस्थान= सदृश व्यक्ति से स्थानशब्दान्त प्रतिपाद्य अर्थवत् हो तो। सस्नौ-v.iv.40
(प्रशंसा-विशिष्ट अर्थ में वर्तमान मद प्रातिपदिक से)स तथा स्न प्रत्यय होते हैं। सस्य-VIII. ii. 24 (संयोग अन्त वाले रेफ से उत्तर) सकार का (लोप होता
है)।
सस्येन-v.ii. 68 ततीयासमर्थ सस्य प्रातिपदिक से (सब ओर से उत्पन्न अर्थ में कन् प्रत्यय होता है)। सह -I.1.60
(आदिवर्ण अन्त्य इत्संज्ञक वर्ण के साथ मिलकर दोनों के मध्य में स्थित वर्णों का तथा अपने स्वरूप का भी ग्रहण कराता है)।