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श्याव...
श्चुः - VIII. iv. 39
(शकार और चवर्ग के योग में सकार एवं तवर्ग के स्थान में) शकार तथा चवर्ग आदेश होते हैं। श्चुना-VIII. iv. 39
शकार और चवर्ग के योग में (सकार और तवर्ग के स्थान में शकार और चवर्ग होते है)। शन... -VI. iv. 111
देखें-श्नसोः VI. iv. 111 श्न -III. 1.83
श्ना के स्थान में (हलन्त से उत्तर शानच आदेश होता है', 'हि' परे रहते)। नम् - II. 1.87
(रुषादि धातुओं से) श्नम् प्रत्यय होता है, (कर्तृवाची सार्वधातुक परे रहने पर)। नसो: - VI. iv. 111
श्नम् प्रत्यय तथा अस् धातु के (अकार का लोप होता है; कित, ङित् सार्वधातुक परे रहते)। स्ना-III. 1. 81
(क्री आदि धातुओं से कर्तवाची सार्वघातक परे रहने पर) श्ना प्रत्यय होता है। ना... -VI. iv. 112 देखें-श्नाभ्यस्तयोः VI. iv. 112 स्नात् - VI. iv. 23
श्न से उत्तर (नकार का लोप हो जाता है)। श्माभ्यस्तयोः -VI. iv. 112 . श्ना तथा अभ्यस्तसज्जक के (आकार का लोप होता है; कित,डित् सार्वधातुक परे रहते)। मु... -VI. iv.77 देखें-सुधातुभुवाम् VI. iv.77 श्नः -III. 1.73
(स्वादिगण की धातुओं से कर्तृवाची सार्वधातुक परे रहते) श्नु प्रत्यय होता है। नुः -III. I. 82. (स्तम्भु, स्तुम्भु, स्कम्भु, स्कुम्भु और स्कुञ् धातुओं से कर्तवाची सार्वधातुक परे रहने पर) श्नु प्रत्यय होता है (तथा स्ना प्रत्यय भी होता है।
श्वधातुश्रुवाम् -VI. iv.77
श्नु प्रत्ययान्त अङ्ग तथा (इवर्णान्त,उवर्णान्त) धातु एवं धू शब्द को (इयङ्,उवङ् आदेश होते हैं;अच परे रहते)। ....श्नुवो: - VI. iv. 87
देखें-हुश्नुवो: VI. iv. 87. श्य: -VI.i. 124
(तरल पदार्थ के काठिन्य तथा स्पर्श अर्थ में वर्तमान) श्यैङ् धातु को (सम्प्रसारण हो जाता है, निष्ठा के परे रहते)। श्यः - VII. ii. 47
श्यैङ धातु से उत्तर (निष्ठा के तकार को नकारादेश होता है, स्पर्श अर्थ को छोड़कर)। श्यन् - I. 1. 69
(दिवादिगण की धातुओं से) श्यन् प्रत्यय होता है,(कर्तृवाची सार्वधातुक परे रहते)। श्यन् - III. 1. 90
(कुष और रख धातुओं से कर्मवद्भाव होने पर) श्यन् प्रत्यय (तथा परस्मैपद भी) होता है, (प्राचीन आचार्यों के मत में)। श्यनि -VII. iii. 71
(ओकारान्त अङ्ग का) श्यन् परे रहते (लोप होता है)। श्यनि-VII. iii.74
(शम् इत्यादि आठ अङ्गों को) श्यन् परे रहते (दीर्घ होता है)। .....श्यनो: -VII.i.81
देखें-शपश्यनो: VII.i..81 श्या.. -III. 1. 141
देखें - श्याद्व्यय III. 1. 141 श्याव्यधास्तुसंस्वतीणवसावहलिहश्लिषश्वसः - III. i. 141 श्यैङ्, आत् = आकारान्त, व्यध, आङ् और संपूर्वक
और सु, अतिपूर्वक इण, अवपूर्वक षो, अवपूर्वक हु, लिह, श्लिषु,श्वस्-इन धातुओं से (भी ण प्रत्यय होता है)। श्याव... - V. iv. 144 देखें-श्याचारोकाभ्याम् V. iv. 144