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वस्नसौ
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वस्नसौ-VIII. 1.21
वहे - VI. iii. 120(पद से उत्तर अपादादि में वर्तमान जो बहुवचन में (पीलु शब्द को छोड़कर जो इगन्त शब्द पूर्वपद,उनको) षष्ठ्यन्त, चतुर्थ्यन्त एवं द्वितीयान्त युष्मद् तथा अस्मद् वह शब्द के उत्तरपद रहते (दीर्घ होता है)। पद,उनको क्रमश:) वस तथा नस आदेश होते हैं।
पीलु = बाण, अणु,कीडा.हाथी। .
.. वह... -III. ii. 32
वह = वहन करने वाला,बैल के कन्धे, घोड़ा, हवा। . देखें-वहाधे III. ii. 32
...वहो: - III. ii. 31 ...वह... -III. iii. 119
देखें -रुजिवहोः III. ii. 31 देखें-गोचरसञ्चर III. iii. 119
...वहो: - III. iv. 43 वहः -I. iii. 81
देखें-नशिवहोः III. iv. 43 (प्र उपसर्ग से उत्तर) वह धातु से.(परस्मैपद होता है)। ....वहो: - VI. iii. 111 वहः -III. ii. 64
देखें-सहिवहो: VI. iii. 11: वह धातु से (भी सबन्त उपपद रहते छन्दविषय में 'वि' वह्यम् -III. I. 102 प्रत्यय होता है)।
'वह्यम्' पद वह धातु से (करणकारक में) यत् प्रत्ययान्त वहति - IV. iv. 76
निपातन है)। (द्वितीयासमर्थ रथ.युग.प्रासङ्ग प्रातिपदिकों से) 'ढोता
वंशादिभ्यः - V.i. 49 है' अर्थ में (यत् प्रत्यय होता है)।
वंशादिगणपठित प्रातिपदिकों से उत्तर (जो भारशब्द,
तदन्त द्वितीयासमर्थ प्रातिपदिक से 'हरण करता है', 'वहन वहति - V.1.49
करता है' और 'उत्पन्न करता है' अर्थों में यथाविहित (वंशादिगणपठित प्रातिपदिकों से उत्तर जो भार.शब्द, प्रत्यय होते है)। तदन्त द्वितीयासमर्थ प्रातिपदिक से 'हरण करता है) वहन वंश्ये - IV.i. 163 करता है' (और 'उत्पन्न करता है' अर्थों में यथाविहित
(पौत्रप्रभृति का जो अपत्य, उसकी) पिता इत्यादि के प्रत्यय होते है)।
(जीवित रहते युवा संज्ञा ही होती है)। ...वहति..-VIII. iv. 17
वंश्येन - II. I. 18 देखें- गदनदO VIII. iv. 17
वंश्यवाचक अर्थात् विद्याप्रयुक्त अथवा जन्मप्रयुक्त वहते:-IV. iv.1
वंश में उत्पन्न पुरुषों के अर्थ में वर्तमान सुबन्त के साथ (यहाँ से लेकर) 'तद्वहति रथयुगप्रासङ्गम्' से (पहले (संख्या-वाचकों का विकल्प से समास होता है और वह पहले जो अर्थ निर्दिष्ट किये गये हैं,वहाँ तक ठक् प्रत्यय अव्ययीभाव समास होता है)। का अधिकार समझना चाहिये)।
वा-I.i. 43 ...वहान्तात् -IV.ii. 122
(निषेध और) विकल्प (की विभाषासंज्ञा होती है)। देखें-प्रस्थपुरवहान्तात् IV. ii. 122
वा-I. ii. 13 वहाने-III. ii. 32
वह तथा अघ्र (कर्म) उपपद रहते लिह धात से खश (गम् धातु से परे झलादि लिङ् और सिच आत्मनेपद प्रत्यय होता है)।
विषय में) विकल्प से (कित्वत् होते हैं)। अभ्र = बादल, वायु-मण्डल।
वा-I.ii. 23 ...वहि... -III. iv.78
(नकारोपध थकारान्त और फकारान्त धातु से परे सेट देखें - तिप्तस्झि० III. iv. 78
क्त्वा प्रत्यय) विकल्प करके (कित् नहीं होता है)।