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________________ 455 .. . लोट् लट् -III. iii. 151 लेट: -III. iv.94 (यदि का प्रयोग न हो तो यच्च, यत्र से भिन्न शब्द लेट् लकार को (अट आट आगम पर्याय से होता है)। उपपद हो तो चित्रीकरण गम्यमान होने पर धातु से) लृट् लेटि-III. 1. 34 प्रत्यय होता है। । लेट् परे रहते (धातु से बहुल करके सिप होता है)। लट् - VII. I. 47 लेटि - VII. ii. 70 (एहि तथा मन्ये से युक्त) लडन्त तिङन्त को (हँसी गम्यमान हो तो अनुदात्त नहीं होता)। (घुसज्ञक अङ्ग का) लेट् परे रहते (विकल्प से लोप होता है)। लट् - VIII. 1.51 ...लो: - VII. iii. 39 (गति अर्थवाले धातुओं के लोट् लकार से युक्त)लुडन्त देखें - लीलो: VII. iil. 39 (तिडन्त को अनुदात्त नहीं होता, यदि कारक सारा अन्य न हो तो)। . लोक...-v.i. 43 देखें - लोकसर्वलोकात् v. i. 43 लुटः -III. iii. 14. लोकसर्वलोकात् -V. 1.43 (भविष्यत्काल में विहित जो) लट्, उसके स्थान में । (सप्तमीसमर्थ) लोक तथा सर्वलोक प्रातिपदिकों से (सत्संज्ञक शत,शानच प्रत्यय विकल्प से होते हैं)। (प्रसिद्ध' अर्थ में ठञ् प्रत्यय होता है)। ...लटी-III.11.144 लोकाव्ययनिष्ठाखलर्थतनाम् -II. iil. 69 देखें -लिङ्लटौ III. III. 144 ल अर्थात् लकारस्थानी शतृ शानच् आदि, उ, उक, ....लदित - III. 1.55 अव्यय, निष्ठा, खलर्थ और तन प्रत्ययान्तों के योग में देखें-पुपादिधुताच्o III. I. 55 (षष्ठी विभक्ति नहीं होती)। ललुटोः - III. 1. 33 लोट् -III. iii. 162 (धातु से)ल = लृट,लङ् तथा लुट् परे रहते (यथासंख्य - करके स्य तथा तास प्रत्यय हो जाते है)। (विधि,निमन्त्रण,आमन्त्रण, अधीष्ट,सम्प्रश्न,प्रार्थना अ थों में) लोट् प्रत्यय (भी) होता है। ले: - II. iv. 80 लोट् -III. 1. 165 (घस, हर, णश,व, दह, आदन्त, वृच, कृ, गम् और जन् से विहित) फिल का (लुक् होता है, मन्त्रविषयक प्रयोग (औषादि अर्थ गम्यमान हों तो मुहर्त भर से ऊपर के होने पर)। काल के कहने में स्म शब्द उपपद रहते धातु से) लोट् प्रत्यय होता है। , लेख..-VI. iii. 49 देखें-लेखयदण VI. iii. 49 लोट् - III. iv.2 लेखयदण्लासेषु - VI. iii. 49 (क्रिया का पौन:पन्य गम्यमान हो तो धात से धात्वर्थ सम्बन्ध होने पर सब कालों में) लोट् प्रत्यय हो जाता है (हृदय शब्द को हृत् आदेश होता है; लेख, यत्, अण् (और उस लोट् के स्थान में सब पुरुषों तथा वचनों में हि तथा लास परे रहते। । और स्व आदेश नित्य होते हैं तथा त, ध्वम भावी लोट लास = खेलना, कूदना, प्रेमालिङ्गन, स्त्रियों का नाच, के स्थान में विकल्प से हि.स्व आदेश होते है)। रसा। लोट् - VIII. 1. 52 लेट् -III. iv.7 - (वेदविषय में लिङ् के अर्थ में धातु से विकल्प से) लेट (गत्यर्थक धातुओं के लोडन्त से युक्त) लोडन्त (तिडन्त . प्रत्यय होता है (और वह परे होता है)। को भी अनुदात्त नहीं होता, यदि कारक सारे अन्य न हों तो)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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