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यत्खौ
यत्... -V.i.80
देखें- यत्खनो v.i.80 यत् -V.1.99
(तृतीयासमर्थ कर्मन् तथा वेष प्रातिपदिकों से 'शोभित किया' अर्थ में) यत् प्रत्यय होता है। यत् - V.i. 101
(चतुर्थीसमर्थ योग प्रातिपदिक से 'शक्त है' अर्थ में) यत् प्रत्यय (तथा ठञ् प्रत्यय) होता है। यत् - V.i. 106
(प्रथमासमर्थ काल प्रातिपदिकों से षष्ठ्यर्थ में) यत् प्रत्यय होता है, (यदि वह प्रथमासमर्थ काल प्रातिपदिक प्राप्त समानाधिकरण वाला हो तो)। यत् - V.i. 124
(षष्ठीसमर्थ स्तेन प्रातिपदिक से भाव और कर्म अर्थ में) यत् प्रत्यय होता है (तथा स्तेन शब्द के न का लोप भी हो जाता है)। यत् -V.ii.3
(षष्ठीसमर्थ धान्यविशेषवाची यव, यवक, तथा षष्टिक प्रातिपदिकों से 'उत्पत्तिस्थान' अभिधेय हो तो) यत प्रत्यय होता है, (यदि वह उत्पत्तिस्थान खेत हो तो)। यत्... -V.ii. 16
देखें- यत्खौ v. ii. 16 यत्... - V.ii. 39
देखें- यत्तदेतेभ्यः V. ii. 39 ...यत्... -V.ii. 15
देखें-सर्वैकान्यov.ili. 15 ....यत्... -v.ili.92
देखें-किंयत्तदोः V. iii. 92 यत् -V.iii. 103 (शाखादि प्रातिपदिकों से इवार्थ में) यत प्रत्यय होता
यत्... -VIII.i.30
देखें- यद्यदि० VIII. I. 30 यत्... -VIII. 1.56
देखें - यद्धितुपरम् VIII. I. 56 ....यत... -III. iii.90
देखें-यजयाच० III. iii. 90 यत: -II. iii.41 पत
जिससे (निर्धारण हो, उससे भी षष्ठी और सप्तमी विभक्ति होती है)। यतः - VI. i. 207
(दो अचों वाले) यत्प्रत्ययान्त शब्दों को (आधुदात्त होता है,नौ शब्द को छोड़कर)। यति - VI. iii. 52
(अतदर्थ) यत् प्रत्यय के परे रहते (पाद शब्द को पद् आदेश होता है)। यति -VI. iv.65
(आकारान्त अङ्ग को ईकारादेश होता है), यत् प्रत्यय के परे रहते। ...यतो: -VI. ii. 156
देखें - ययतो: VI. ii. 156 ...यतौ-IV.i. 161
देखें-अव्यतौ IV.i. 161 ...यतौ-v.i.21
देखें- ठन्यतौ V.1.21 ....यतौ -v.i.97
देखें-णयतो V.i.97 यत्खनौ-V.1.80 (द्वितीयांसमर्थ कालवाची मास प्रातिपदिक से हो चुका' अर्थ में अवस्था गम्यमान होने पर) यत् और खञ् प्रत्यय होते हैं। यत्खौ -IV. iii.64 (सप्तमीसमर्थ वर्गान्त प्रातिपदिक से अशब्द प्रत्ययार्थ अभिधेय होने पर भव अर्थ में विकल्प से) यत् तथा ख प्रत्यय होते है। यत्खौ -IV.iv. 130
(ओजस प्रातिपदिक से मत्वर्थ में) यत् और ख प्रत्यय होते हैं; (दिन अभिधेय हो तो, वेद-विषय में)।
यत् - V.iv. 24
(देवता शब्द अन्त वाले प्रातिपदिक से 'उसके लिये यह अर्थ में यत् प्रत्यय होता है। ...यत्... -VI. ill. 49
देखें-लेखयदण VI. III. 49