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यः-IV. iv. 137
यक् - VII. 1.47 (द्वितीयासमर्थ सोम प्रातिपदिक से 'अर्हति' अर्थ में) य (वेद-विषय में क्त्वा को) यक् आगम होता है। प्रत्यय होता है।
....यक्... - VII. iv. 28 य-v.i. 125
देखें-शयग्लिश VII. iv. 28 (षष्ठीसमर्थ सखि प्रातिपदिक से भाव और कर्म अर्थ ...यक: - IV. iii. 94 में) य प्रत्यय होता है।
देखें-ढक्छण्डव्यक: IV. iii. 94 य-VI.1.37
यकन् -VI.1. 61 (लिट् लकार के परे रहते वय् धातु के) यकार को (सम्प्र- (वेदविषय में यकृत् शब्द के स्थान में) यकन् आदेश सारण नहीं होता है)।
हो जाता है, (शस् प्रकार वाले प्रत्ययों के परे रहते)। य-VI. iv. 149
.
यकपूर्वाया: - VII. ifi.46 (भसञक अङ्ग के उपधा) यकार का (लोप होता है; यकार तथा ककार पूर्ववाले (आकार) के स्थान में (जो ईकार तथा तद्धित के परे रहते; यदि वह य् सूर्य, तिष्य, प्रत्ययस्थित ककार से पूर्व अकार,उसके स्थान में उदीच्य.. अगस्त्य तथा मत्स्य-सम्बन्धी हो)।
आचार्यों के मत में इकारादेश नहीं होता)। . य-VII. 1. 13
यकि -VI. iv. 44 (अकारान्त अङ्ग से उत्तर 'डे' के स्थान में) य आदेश (तनु अङ्गको विकल्प से) यक् परे रहते (आकारादेश होता है।
होता है)। 2-VII. 1. 89
यक्विणी - III. 1.89 (कोई आदेश जिसको नहीं हुआ है, ऐसी अजादि यक और चिण (जो दह,स्नु और नम् को कर्मवद्भाव विभक्ति के परे रहते युष्मद, अस्मद् अङ्ग को) यकारा
में कहे गये हैं, वे नहीं होते)। देश होता है।
यखौ - Vii. 93 यः-VII. ii. 110 (इदम् के दकार के स्थान में) यकार आदेश होता है;
___ (पाम शब्द से) य और खञ् प्रत्यय होते हैं। (सु विभक्ति परे रहते)।
यङ्-III. 1. 22 यः-VIII. iii. 17
(एकाच हलादि धातु से क्रिया के बार-बार होने या - (भो, भगो, अघो तथा अवर्ण पूर्व में है जिस रु के, उस
अतिशय अर्थ में) यङ् प्रत्यय होता है.। रु के रेफ को) यकार आदेश होता है, (अश परे रहते)। यङ्... - VII. iv. 82 यक् - III. 1. 27
देखें- यङ्लुको: VII. iv. 82
यड-III. ii. 166 . (कण्डूज् आदि धातुओं से) यक् प्रत्यय होता है।
(यज, जप, दश-इन) यडन्त धातुओं से (तच्छीलादि यक् - III. I. 67
कर्ता हो, तो वर्तमानकाल में ऊक प्रत्यय होता है)। . (धातु मात्र से) यक् प्रत्यय होता है,(भाव और कर्मवाची
यडः -III. 1. 176 सार्वधातुक प्रत्यय परे रहते)।
यडन्त (या प्रापणे) धातु से (भी तच्छीलादि कर्ता हों, यक्...-III.1. 89 देखें- यक्विणौ III. 1. 89
तो वर्तमानकाल में वरच् प्रत्यय होता है)। यक्-... 127
यड-V.1.74 (षष्ठीसमर्थ पति शब्द अन्तवाले तथा परोहितादि प्राति- यङन्त = ज्यङ् या व्यङ् अन्तवाले प्रातिपदिकों से पदिकों से भाव और कर्म अर्थों में) यक प्रत्यय होता है। (स्त्रीलिङ्ग में चाप् प्रत्यय होता है)।