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मेरेय = एक प्रकार का मादक पेय । ...मो:-VIII. iv. 22
देखें-वमो: VIII. iv. 22 .मौ-VII. ii.97
देखें-त्वमौ VII. ii.97 ...मौ-VIII. I. 23
देखें-त्वामौ VIII. I. 23 ...म्ना.. - VII. iii. 78
देखें- पाघ्राध्या० VII. iii. 78 ...प्रद... -VII. iv.95
देखें - स्मृदृत्वर० VII. iv.95 प्रियते: -I. 1. 61
(लुङ, लिङ् लकार में. तथा शित् विषय में) 'मृङ्प्राणत्यागे' धातु से (आत्मनेपद होता है)।
...मुचु... -III. 1.58
देखें-स्तम्भु० III. 1. 58 ...म्लिष्ट..-VII. ii. 18
देखें- क्षुब्धस्वान्त० VII. ii. 18 ...म्लुचु... -III. 1.58
देखें-स्तम्भु III.1.58 म्वो: - VI. iv. 107
(असंयोग पूर्व उकारान्त प्रत्यय का विकल्प से लोप भी होता है),मकारादि तथा वकारादि प्रत्ययों के परे रहते। म्वोः -- VIII. I. 65
मकार तथा वकार परे रहते (भी मकारान्त धातु को नकारादेश होता है)।
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य-प्रत्याहारसूत्र
आचार्य पाणिीन द्वारा अपने बारहवें प्रत्याहारसूत्र में 'इत्सद्धार्थ पठित वर्ण। य..-I. iv. 18
देखें-यचि I. iv. 18 य...-VII. iil.3 .
देखें-वाभ्याम् VII. iii. 3 य..-VIII. 1. 108
देखें -यौ VIII. ii. 108 य... -VIII. iii.87
देखें-क्च्य रः VIII. iii.87 य-प्रत्याहारसूत्र V
आचार्य पाणिनि द्वारा अपने पञ्चम प्रत्याहारसूत्र में पठित द्वितीय वर्ण।
पाणिनि द्वारा अष्टाध्यायी के आदि में पठित वर्णमाला का ग्यारहवां वर्ण। ...य... -IV. 1.79
देखें -बुज्छण्कठOV.ii.79 य..-IV. 1. 94 देखें-यखौ IV. 1.94
य..-VI.1.156
देखें - ययतो: VI. 1. 156 य... -VII. iii. 46
देखें- यकपूर्वाया: VII. iii. 46 यः - III. ii. 152
यकारान्त धातुओं से (तच्छीलादि कर्ता हों तो वर्तमा- ' नकाल में युच् प्रत्यय नहीं होता है)। य-III. 1. 176
(यङन्त) 'या पापणे' धातु से (भी तच्छीलादि कर्ता हों, तो वर्तमानकाल में वरच् प्रत्यय होता है)। यः - IV. ii. 48 (षष्ठीसमर्थ पाशादि प्रातिपदिकों से समूह अर्थ में) य प्रत्यय होता है। यः -v.iv. 105
(सप्तमीसमर्थ सभा प्रातिपदिक से साधु अर्थ में) य प्रत्यय होता है। यः-IV. iv. 109
(सप्तमीसमर्थ सोदर प्रातिपदिक से 'शयन किया हआ' अर्थ में) य प्रत्यय होता है।