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...भक्ति ...
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भय्यप्रवय्ये
1.62
...भक्ति ... - III. ii. 21
...भज... -VI. iv. 122 देखें-दिवाविमा० III. ii. 21
देखें-नृफलमज.VI. iv. 122 भक्तिः - IV. iii. 95
भज: -III. ii. 62 (प्रथमासमर्थ) भक्ति समानाधिकरण प्रातिपदिक से भज् धातु से (सुबन्त उपपद रहते सोपसर्ग हो या निरु(षष्ठ्यर्थ में यथाविहित प्रत्यय होता है)।
पसर्ग,तो भी ण्वि प्रत्यय होता है)। ..भक्षयति... -v.ii.9
भञ्ज.. -III. ii. 161 देखें-बद्धाभक्षयति० V.ii.9
देखें- भाभासमिः III. ii. 161
...भञ्ज... - VII. iv. 86 भक्षाः - IV.ii. 15
देखें-जपजभO VII. iv. 86 (सप्तमीसमर्थ प्रातिपदिक से 'संस्कार किया गया ।
भञ्जभासमिदः -III. ii. 161 अर्थ में यथाविहित प्रत्यय होता है, यदि वह संस्कृत)
भञ्ज, भास, मिद्-धातुओं से (तच्छीलादि कर्ता हों, भक्ष = खाद्य पदार्थ हो तो।
तो वर्तमानकाल में घुरच् प्रत्यय होता है)। भक्षाः - IV. iv. 65.
भोः -VI. iv. 33 (हित समानाधिकरण वाले) भक्ष्यवाची (प्रथमासमर्थ)
भङ्ग अङ्ग के (नकार का भी विकल्प से लोप होता है. प्रातिपदिक से (षष्ठ्यर्थ में ठक् प्रत्यय होता है)।
चिण् प्रत्यय परे रहते)। भक्ष्ये - VII.iii. 69
...भद्र..-II. iii.73 . (भोज्यम् शब्द) भक्ष्य = खाद्य अभिधेय होने पर देखें - आयुष्यमद्रभद्र II. iii. 73 (निपातन किया जाता है)।
...भद्रपूर्वाया: - IV.i. 115 भक्ष्येण -II. 1. 35
देखें-संख्यासंभद्र० IV.i. 115 भक्ष्य = खाद्यवाचक (समर्थ सुबन्त) के साथ (मिश्री
भम् -I. iv. 18 करणवाची तृतीयान्त सुबन्त विकल्प से समास को प्राप्त
(सर्वनामस्थानभिन्न यकारादि अजादि स्वादि प्रत्ययों होता है और वह समास तत्पुरुष संज्ञक होता है)।
के परे रहते पूर्व की) भ संज्ञा होती है। ....भग... - VII. iii. 19
भयहेतुः - I. iv. 25 देखें-हृद्भग VII. iii. 19 .
(भय तथा रक्षा अर्थ वाली धातुओं के प्रयोग में) भय भगात् - IV. iv. 131
का जो हेतु है, वह (कारक अपादानसंज्ञक होता है)। (वेशस् और यशस् आदि वाले) भग शब्दान्त प्रातिप- भयन-II. I. दिक से (मत्वर्थ में थल प्रत्यय होता है. वेदविषय में)। (पञ्चम्यन्त सुबन्त) भय शब्द (समर्थ सुबन्त) के साथ
(विकल्प से समास को प्राप्त होता है और वह तत्पुरुष ...भगाल... - VI. ii. 29
समास होता है)। देखें- इगन्तकाल. VI. ii. 29
...भयेषु-III. ii. 43 ...भगो... -VIII. iii. 17
देखें- मेघर्तिभयेषु III. ii. 43 देखें- भोभगो० VIII. iii. 17
भय्य.. - VI.i. 80 ...भा ... -V.ii.4
देखें-भय्यप्रवय्ये VI.i. 80 देखें-तिलमाषोमाov.ii.4
भय्यप्रवय्ये-VI.i. 80 ...मंज... -IH. ii. 142
भय्य तथा प्रवय्य शब्द भी निपातन किये जाते है.(वेददेखें - सम्पचानुरुप III. ii. 142
विषय में)।