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बहुवचनस्य
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बहुवचनस्य-VIII. I. 21
बहुव्रीहौ -I.i. 28 (पद से उत्तर अपादादि में वर्तमान) जो बहुवचन बहुव्रीहि समास में (सर्वादियों की सर्वनाम संज्ञा नहीं (षष्ठ्यन्त, चतुर्थ्यन्त एवं द्वितीयान्त युष्मद् तथा अस्मद्) होती)। पद, उनको (क्रमशः वस् तथा नस आदेश होते है)।
बहुव्रीहौ – II. ii. 35 ...बहुवचनानि -I.iv. 101
बहुव्रीहि समास में (सप्तम्यन्त और विशेषण का पूर्व देखें- एकवचन द्विवचनबहुवचनानि I. iv. 101
प्रयोग होवे)। बहुक्चने - IV. iii. 100
बहुव्रीहौ - V. iv.73 बहुवचनविषय में वर्तमान (जो जनपद के समान ही
(बहु तथा गण शब्द जिसके अन्त में नहीं है, ऐसे क्षत्रियवाची प्रातिपदिक,उनको जनपद की भाँति ही सारे
सङ्ख्येय अर्थ में वर्तमान) बहुव्रीहिसमासयुक्त प्रातिपकार्य हो जाते है)।
दिक से (डच् प्रत्यय होता है)। . बहुवचने - VII. iii. 103
बहुव्रीहौ –v.iv. 113 (अकारान्त अङ्ग को) बहुवचन (झलादि सुप) परे रहते
(स्वाङ्गवाची जो सक्थि तथा अक्षि शब्द, तदन्त प्राति-'' (एकारादेश होता है)।
पदिक से समासान्त षच प्रत्यय होता है),बहुव्रीहि समास : बहुवचने-VIII. 1.81
में। (असकारान्त अदस् शब्द के दकार से उत्तर एकार के बहुव्रीहौ-VI.1.14 स्थान में ईकारादेश होता है एवं दकार को मकार भी होता
बन्धु शब्द उत्तरपद हो तो) बहुव्रीहि समास में (ष्यङ् है) बहुत पदार्थों को कहने में।
को सम्प्रसारण होता है)। बहुव्रीहिः - II. ii. 23
बहुव्रीहौ - VI. ii.1 बहुव्रीहि संज्ञा होती है, (शेष समास की) यह अधिकार
बहुव्रीहि समास में (पूर्वपद को प्रकृतिस्वर होता है)।
बहुव्रीहौ -VI. 1. 106 बहुव्रीहिवत् - VIII. 1.9
बहुव्रीहि समास में (समाविषय में पूर्वपद विश्व शब्द द्वित्व किये हुये एक शब्द को) बहुव्रीहि के समान कार्य
___को अन्तोदात्त होता है)। हो जाता है।
बहुव्रीही - VI. I. 138 बहुव्रीहे:-V.I. 12
(शिति शब्द से उत्तर नित्य ही जो अबवच उत्तरपद, बहुव्रीहि समास में जो अबन्त प्रातिपदिक. उस) से
उसको) बहुव्रीहि समास में (प्रकृतिस्वर होता है, भसत् (स्त्रीलिङ्ग में डीप् प्रत्यय नहीं होता)।
शब्द को छोड़कर)। बहुव्रीहे: - IV.I. 25
बहुव्रीहौ -VI. ii. 162 बहुव्रीहि समास में वर्तमान (ऊयस्-शब्दान्त प्रातिप- बहवीहि समास में (इदम.एतत. तद से उत्तर क्रिया के दिक) से (स्त्रीलिङ्ग में ङीष् प्रत्यय होता है)।
गणन में वर्तमान प्रथम तथा पूरण प्रत्ययान्त शब्दों को बहुव्रीहे: - IV.1.52
अन्तोदात्त होता है)। बहुव्रीहि समास में भी जो (क्तान्त अन्तोदात्त) प्रातिप
बहुव्रीहौ-VI. 1. 196 दिक, उससे (स्त्रीलिङ्ग में ङीष् प्रत्यय होता है)। .
बहुव्रीहि समास में (द्वि तथा त्रि से उत्तर पाद,दत.मूर्धन् बहुव्रीहौ -1.1.27
शब्दों के उत्तरपद रहते विकल्प से अन्तोदात्त होता है)। (दिक वाची पदों के) बहुव्रीहि समास में (सर्वादियों की सरल-1021 सर्वनाम सझा विकल्प से होती है)।
बहत्व अर्थ की विवक्षा में (बहुवचन होता है)।