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अधरोत्तराणाम्
अदूरे-v.iii. 35
अद्रि-VI. iii.91 (दिशा, देश और काल अर्थों में वर्तमान पञ्चम्यन्त- (विष्वग तथा देव शब्दों के तथा सर्वनाम शब्दों के वर्जित सप्तमी प्रथमान्त दिशावाची उत्तर, अधर और टिभाग को) अद्रि आदेश होता है, (वप्रत्ययान्त अञ्जु धातु दक्षिण प्रातिपदिकों से विकल्प से एनप् प्रत्यय होता है), के परे रहते)। 'निकटता' गम्यमान होने पर।
अद्वन्द्वे-II. iv.69 अदेड्-I.1.2
(द्वन्द्व तथा) अद्वन्द्व = द्वन्द्वभित्र समास में (उपक अ,ए,ओ की (गुणसंज्ञा होती है)।
आदियों से उत्तर गोत्रप्रत्यय का बहत्व की विवक्षा में अदेश..- IV. iii. 96
विकल्प से लुक् होता है)। देखें - अदेशकालात् IV. iii. 96
अद्व्यादिभ्यः -v.ili.2 अदेश..-IV. iv..71
(यहां से आगे 'दिक्शब्देभ्यः सप्तमीपञ्चमी' Vii.27 देखें- अदेशकालात् IV. iv.71
सूत्र तक जितने प्रत्यय कहे हैं, वे किम्, सर्वनाम तथा बहु अदेशकालात् - IV. iii. 96
शब्दों से ही होते है),द्वि आदि शब्दों को छोड़कर । (प्रथमासमर्थ भक्तिसमानाधिकरणवाची) देशकाल- अव्युपसर्गस्य -VI. iv. 96 वर्जित (अचेतनवाची) प्रातिपदिक से (षष्ठ्यर्थ में ठक जो दो उपसों से युक्त नहीं है,ऐसे (छादि) अङ्गकी प्रत्यय होता है)।
(उपधा को घ प्रत्यय परे रहने पर हस्व होता है)। अदेशकालात् -IViv.71
...अध्...-V. iii. 39 (जिस देश व काल में अध्ययन नहीं करना चाहिये,ऐसे देखें-पुरधः V. iii. 39 अदेशकालवाची सप्तमीसमर्थ प्रातिपदिकों से (अध्ययन अधः - VIII. 1.40 करने वाला अभिधेय हो तो ठक् प्रत्यय होता है)। (झप् से उत्तर तकार तथा थकार को धकार आदेश होता अदेशे - VIII. iv. 23
है,किन्तु) डुधाञ् धातु से उत्तर (धकारादेश नहीं होता)। (अन्तर शब्द से उत्तर अकार पूर्ववाले हन् धातु के नकार . अधनुषा - IV. iv.3 को णकारादेश होता है) देश को न कहा जा रहा हो तो। (द्वितीयासमर्थ प्रातिपदिक से 'बींधता है' अर्थ में) यदि अड्-VII.1.25
धनुष करण न हो तो (यत् प्रत्यय होता है)। (डतर आदि में है जिनके, ऐसे सर्वादिगणपठित पाँच . ...अधम...-1V.III.5 .. शब्दों से परे सु तथा अम् को) अद्ड् आदेश होता है। 'अनि - IV. iv. 134
...अधर... -II. 1.1 : (तृतीयासमर्थ) आप् प्रातिपदिक से (संस्कृत अर्थ में यत्
देखें - पूर्वापराघरो० II. II. 1 'प्रत्यय होता है, वेद-विषय में)।
...अधर... - V. ill. 34 ....अघ... -V.iii. 22
देखें - उत्तराधर V. il. 34 देखें - सद्य:परुत्० V. iii. 22
...अधर...-v.iil. 39 अबश्वीन -V. 1. 13
देखें-पूर्वाधरo v. iii. 39 अधश्वीन = आज या कल ब्याने वाली गौ आदि- ...अधराणि-1.1.33 शब्द का निपातन किया जाता है,(निकट प्रसव को कहना देखें-पूर्वपरावरदक्षिणोत्तरापराधराणि I. 1. 33 हो तो)।
....अघरेधुस् - V. iii. 22 अद्रव्यप्रक-v.iv. 11
देखें-सापरुन Vill. 22 . (किम्, एकारान्त, तिडन्त तथा अव्ययों से विहित जो ...अधरोत्तराणाम् -II.iv. 12 तरप-तमप् प्रत्यय, तदन्त से आमु प्रत्यय होता है),द्रव्य देखें-वृक्षमृगतृणधान्य II. iv. 12 का प्रकर्ष = उत्कर्ष न कहना हो तो।