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प्रतिनिधिप्रतिदाने
प्रतिनिधिप्रतिदाने - II. iii. 11
(जिससे) प्रतिनिधित्व और (जिससे) प्रतिदान हो (उससे भी कर्मप्रवचनीय के योग में 'पश्चमी' विभक्ति होती है)।
मुख्य के सदृश को 'प्रतिनिधि' और दिये हुवे के प्रतिनिर्यातन को 'प्रतिदान' कहते हैं।
प्रतिपथम् - IV. iv. 42
(द्वितीयासमर्थ) प्रतिपथ प्रातिपदिक से (आता है'अर्थ में ठन् तथा ठक् प्रत्यय होता है)।
... प्रतिपन्नाः
देखें- अकृतमितo VI. II. 170
प्रतिपर्यनयः - Liv. 89
- VI. ii. 170
-
प्रति, परि और अनु शब्द (लक्षण, इत्थंभूताख्यान, भाग और वीप्सा - इन अर्थों के द्योतित होने पर कर्मप्रवचनी और निपातसंज्ञक होते हैं)।
-
374
प्रतिबन्धि - VI. 1. 6
(चिर तथा कृच्छ्र शब्द उत्तरपद रहते तत्पुरुष समास में) प्रतिबन्धिवाची, जो कार्य की सिद्धि को बांध देता है अर्थात् रोक देता है, तद्वाची पूर्वपद को (प्रकृतिस्वर होता है) ।
... प्रतिभू... - II. III. 39
देखें - स्वामीश्वराधिपतिo II iii. 39
...प्रतिभ्याम् - 1. III. 46
देखें - सम्प्रतिभ्याम् I. iii. 46
1
... प्रतियत्न... - I. iii. 32
देखें - गन्धनावक्षेपणसेवनo I. iii. 32
प्रतियत्न... - VI. 1. 134
देखें प्रतियत्नवैकृत०] VI. I. 134 प्रतियत्नवैकृतवाक्याध्याहारेषु - VI. 1. 134 i.
प्रतियत्न = किसी गुण को किसी अन्य गुण में परिवर्तित करना, वैकृत = विकृत या खराब होना तथा वाक्याध्याहार गम्यमान अर्थ को भी सहजता से समझाने के लिये शब्दों द्वारा उपादान कर देना अर्थ गम्यमान हो तो (कृ धातु के परे रहते उप उपसर्ग से उत्तर कार से पूर्व सुट् का आगम होता है, संहिता के विषय
में) ।
-
प्रतियत्ने II. iii. 53
प्रतियत्न- किसी गुण को किसी अन्य गुण में परिवर्तित करना गम्यमान होने पर (क धातु के कर्म कारक में शेष विवक्षित होने पर षष्ठी विभक्ति होती है)। प्रतियोगे
-
V. iv. 44
प्रति शब्द के योग में (विहित पञ्चमी विभक्ति अन्त वाले प्रातिपदिक से विकल्प से तसि प्रत्यय होता है)। ... प्रतिरूपयोः - VI. ii. 11 देखें
सदृशप्रतिरूपयो: VI. II. 11
प्रतिश्रवणे - VIII. ii. 99
=
प्रतिश्रवण स्वीकार करना तथा अच्छी तरह सुनने में प्रवृत्ति अर्थ में (वर्तमान वाक्य की टि को भी प्लुत उदात्त होता है)।
... प्रतिषीव्य... - III. 1. 123
देखें - निष्टवर्यदेवहूय० III. 1. 123 प्रतिषेधयोः - III. I. 18
प्रतिषेधवाची (अलं तथा खलु शब्द) उपपद रहते (प्राचीन आचार्यों के मत में धातु से क्त्वा प्रत्यय होता है) ।
*
...प्रती
प्रतिष्कशः - VI. 1. 147
प्रतिष्कश शब्द में प्रति पूर्वक कश् धातु को सुट् आगम तथा उसी सुद के सकार को पत्व निपातन किया जाता है ।
=
- सहायक, अग्रगामी, दूत।
है ।
प्रतिष्कश प्रतिष्ठायाम् VI. 1. 141
प्रतिष्ठा अर्थ में (आस्पद शब्द में सुट् आगम निपातन किया जाता है)।
-
प्रतिष्णातम् - VIII. iii. 90
प्रतिष्णातम् में षत्व निपातन है, (धागा को कहने में) । प्रतिस्तव्य... - VIII. I. 114
देखें - प्रतिस्तब्धनिस्तब्धौ VIII. III. 114 प्रतिस्तव्यनिस्तब्धौ - VIII. II. 114
iii.
प्रतिस्तब्ध, निस्तब्ध शब्दों में भी मूर्धन्याभाव निपातन
....प्रती - II. 1. 13
देखें- अभिप्रती II. 1. 13