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प्रकृत्या
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प्रजामेधयोः
प्रकृत्या -VI. il.1
प्रघणः - III. iii. 79 (बहुव्रीहि समास में पूर्वपद को) प्रकृतिस्वर हो जाता (गृह का एकदेश वाच्य हो तो) प्रघण (और प्रघाण) शब्द
में प्र पूर्वक हन् धातु से अप् प्रत्यय और हन को धन प्रकृत्या -VI. il. 137
आदेश कर्तभिन्न कारक संज्ञा में (कर्म में)1 निपातन (भग उत्तरपद को तत्पुरुष समास में) प्रकृतिस्वर होता।
किये जाते हैं।
प्रघाण:-III. iii. 79 प्रकृत्या -VI. fii.74
(गृह का एकदेश वाच्य हो तो प्रघण और) प्रघाण शब्द (नघाट, नपात्, नवेदा, नासत्या, नमुचि, नकुल, नख,
में प्र पूर्वक हन् धातु से अप् प्रत्यय और हन को घन नक्षत्र,नक्र,नाक-इन शब्दों में जो नब.उसे) प्रकृतिभाव
आदेशाकर्तभिन्न कारक संज्ञा में (कर्म में निपातन किये हो जाता है।
जाते हैं।
..प्रा.-II.M.90 प्रकृत्या -VI. ifi.82
देखें- यजयाक III. 1. 90 (आशीर्वाद विषय में सह शब्द को) प्रकृतिभाव हो जाता
...प्रच्छ:-1.ii.8
देखें-रुदविदमुषग्रहिस्वपिप्रच्छ: I. 1.8 प्रकृत्या - VI. iv. 163
...प्रजन... -III. ii. 136 (भसञक एक अच् वाला अङ्ग) प्रकृति से रह जाता देखें- अलंकृञ् III. ii. 136 है; (इष्ठन्, इमनिच, ईयसुन् परे रहते)।
प्रजनयाम् -III. I. 42 प्रकृष्टे - V. 1. 107
प्रजनयामकः, (अभ्युत्सादयामकः, चिकयामकः, रमयाप्रकर्ष में वर्तमान (जो प्रथमासमर्थ काल शब्द, उससे
मक) शब्दों का छन्द विषय में विकल्प से निपातन किया षष्ठ्यर्थ में ठञ् प्रत्यय होता है)।
गया है।
प्रजने-III.1. 104 ....प्रगदिन्... - IV. 1.79 देखें- अरीहणकशाश्व IV. 1.79
'प्रथम गर्भग्रहण का (समय हो गया है', इस अर्थ में । प्रगाथेषु - IV. II. 54
उपसर्या शब्द का निपातन है।
प्रजने-III. 1.71 (प्रथमासमर्थ छन्दोवाची प्रातिपदिकों से षष्ठ्यर्थ में
- प्रजन= गर्भधारण अर्थ में वर्तमान (स धातु से अप यथाविहित अण् प्रत्यय होता है),प्रगाथों = जहां विभिन्न
प्रत्यय होता है,कर्तृभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में)। छन्दों की दो या तीन ऋचाओं का प्रथन किया जाता है,
प्रजने -VI.1.54 के अभिधेय होने पर (यदि वह प्रथमासमर्थ छन्द आदि आरम्भ में हो)।
प्रजन= गर्भधारण अर्थ में (वर्तमान वी धातु के एच
के स्थान में विकल्प से आकारादेश हो जाता है.णिच परे प्रगृह्यम् -I.i. 11
रहते)। (ई,ऊ,ए,जिनके अन्त में हों,ऐसे जो द्विवचन शब्द हैं,
प्रजा..-v.iv. 122 उनकी) प्रगृह्य संज्ञा होती है।
देखें – प्रजामेधयोः V. iv. 122 ...प्रगृह्यः-VI.1. 121
प्रजामेधयो: - V. iv. 122 देखें- प्लुतप्रगृहा: VI... 121
(नज,दुस् तथा सु शब्दों से उत्तर जो) प्रजा और मेधा ...प्रगे... - IV. iii. 23
शब्द, (तदन्त बहुव्रीहि) से (नित्य ही समासान्त असिच देखें-सायचिरंपाहणे IV. 1.23
प्रत्यय होता है)।