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निरुदकादीनि
निरुदकादीनि - VI. 1. 184
निरुदकादि गणपठित शब्दों को ( भी अन्तोदात्त होता
है)।
निर्दिष्ट – 1.1.65
(सप्तमीविभक्ति से) निर्दिष्ट शब्द से (अव्यवहित पूर्व को ही कार्य होता है)।
निर्धारणम् – II. iii. 41
निर्धारण अर्थात् जाति, गुण या क्रिया के द्वारा समुदाय से एक देश का पृथक्करण जिससे हो, उसमें भी षष्ठी और सप्तमी विभक्ति होती है) ।
निर्धारणे - II. ii. 10
जाति, गुण व क्रिया के द्वारा समुदाय से एकदेश के पृथक्करण अर्थ में (विद्यमान षष्ठ्यन्त सुबन्त का समर्थ सुबन्त के साथ समास नहीं होता) । निर्धारणे
-V. iii. 92
(किम्, यत् तथा तत् प्रातिपदिकों से 'दो में से एक का) पृथक्करण' अर्थ में (डतरच् प्रत्यय होता है) । निर्निविभ्यः - VIII. iii. 76
निर, नि, वि उपसर्ग से उत्तर (स्फुरति तथा स्फुलति के सकार को विकल्प से मूर्धन्य आदेश होता है ) । निर्मिते - IV. iv. 93
(तृतीयासमर्थ छन्दस् प्रातिपदिक से) 'बनाया हुआ' अर्थ में (यत् प्रत्यय होता है)।
निर्वाण: - VIII. ii. 50
(निस् पूर्वक वा धातु से उत्तर निष्ठा के तकार को नकार आदेश करके) निर्वाण शब्द (वायु अभिधेय न होने पर निपातित है ) ।
निर्वृत्तम् - IV. 1. 67
(तृतीयासमर्थ प्रातिपदिकों से) 'बनाया गया' अर्थ में ( यथाविहित प्रत्यय होता है, यदि उस शब्द से देश का नाम गम्यमान हो) ।
338
निर्वृत्तम् - V. 1. 78
(तृतीयासमर्थ कालवाची प्रातिपदिक से) 'बनाया हुआ' अर्थ में (यथाविहित कञ् प्रत्यय होता है)।
निविभ्याम्
निर्वृत्ते - IV. iv. 19
(तृतीयासमर्थ अक्षद्यूतादिगणपठित प्रातिपदिकों से) 'उत्पन्न किया गया' अर्थ में ( ठक् प्रत्यय होता है)। निक्चने
- I. iv. 75
(मध्य, पदे तथा निवचने शब्द (भी कृञ् के योग में विकल्प से गति और निपातसंज्ञक होते हैं)।
निवाते - VI. ii. 8
(वातत्राणवाची तत्पुरुष समास में) निवात शब्द उत्तरपद रहते (पूर्वपद को प्रकृतिस्वर होता है) ।
निवात
वायु से सुरक्षित ।
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... निवास... - III. 1. 129
देखें - मानहविः III. 1. 129
निवास... - III. iii. 41
देखें - निवासचिति० III. iii. 41 निवास: -IV. ii. 68
(षष्ठीसमर्थ प्रातिपदिकों से) निवास अर्थ में (देश का नाम गम्यमान होने पर यथाविहित प्रत्यय होता है) निवास: - IV. iii. 89
(प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक से षष्ठ्यर्थ में यथाविहित प्रत्यय होता है, यदि प्रथमासमर्थ) निवास हो तो । निवास: -IV. iii. 89
(प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक से षष्ठ्यर्थ में यथाविहित प्रत्यय होता है, यदि प्रथमासमर्थ) निवास हो तो । निवासचितिशरीरोपसमाधांनेषु - III. iii. 41 निवास, चिति जो चयन किया जाये, शरीर और राशि अर्थों में (चिञ् धातु से घञ् प्रत्यय होता है तथा चित्र के आदि चकार को ककारादेश हो जाता है) कर्तृभिन्न कारकसंज्ञा तथा भाव में)।
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निवासे
- VI. i. 195
(क्षय शब्द आद्युदात्त होता है) निवास अभिधेय होने
पर ।
निविभ्याम् - VI. 1. 181
नि तथा वि उपसर्ग से उत्तर (अन्त शब्द को अन्तोदात्त नहीं होता) ।