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...निकाययोः
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...निकाययो: -VI. 1.94
निष-III. 1.87 देखें-गिरिनिकाययो: VI. 1.94
(सब प्रकार से बराबर (निमित्त) अभिधेय हो तो) नि ...निकाय्य..-III. 1. 129
पूर्वक हन् धातु से अप्प्रत्यय टि भाग का लोप तथा घन देखें- पाय्यसान्नाव्य III. 1. 129
आदेश निपातन करके निष शब्द सिद्ध करते हैं। ...निक्ष..-VIII. iv.32
निष = समारोह, परिणाह। देखें- निसनिक्षनिन्दाम् VII. iv. 32
निक-v.in. 134 निक्ष = चुम्बन।
(जायाशब्दान्त बहुव्रीहि को समासान्त) निङ् आदेश ...निगमाः -III. iii. 119
होता है। देखें-गोचरसार III. 1. 119
निजाम् - VII. iv.75 निगमे -VI. 1. 112
णिजिर् इत्यादि (तीन) धातुओं के (अभ्यास को श्लु (साढ्यै,साढ्वा तथा साढा- ये शब्द) वेद में (निपातन
न होने पर गुण होता है)। किये जाते हैं)।
निति - VI. ii. 50 निगमे-VI.v.9
(तुन को छोड़कर तकारादि एवं) नकार इत्सजक (कृत) वेद-विषय में (नकारान्त अङ्ग के उपधाभूत षकार है पूर्व के परे रहते (भी अव्यवहित पूर्वपद गति संज्ञक को प्रकृमें जिससे, ऐसे अच् को सम्बुद्धि-भिन्न सर्वनामस्थान के तिस्वर होता है)। परे रहते विकल्प से दीर्घ होता है)।
नित्य... - VIII. 1.4 निगमे - III. 1. 64
देखें – नित्यवीप्सयोः VIII. .4 (बभूथ, आततन्थ, जगृभ्म, ववर्थ - ये शब्द थल् परे नित्यम् - 1. ii. 63 रहते निपातन किये जाते हैं) वेद-विषय में।
(तिष्य तथा पुनर्वसु शब्दों के नक्षत्रविषयक द्वन्द्वसमास निगमे - VII. iii. 81
में बहुवचन के स्थान में) नित्य ही द्विवचन हो जाता है)। (मीज् हिंसायाम्' अङ्ग को शित् प्रत्यय परे रहते) वेद- नित्यम् - I. 1. 72 विषय में (हस्व होता है)।
(त्यदादि शब्दरूप सबके साथ अर्थात् त्यदादियों के निगमे - VII. iv.74
साथ या त्यदादि से अन्यों के साथ भी) नित्य ही (शेष (ससूव- यह शब्द) वेदविषय में (निपातन किया जाता रह जाते हैं, अन्य हट जाते है)।
नित्यम् - I. iv.76 निगरण.. - I. ii. 87
" (हस्ते तथा पाणौ शब्द की विवाह-विषय में कृञ् के देखें-निगरणचलनार्थेभ्यI. 1.87
योग में) नित्य ही (गति और निपात संज्ञा होती है)। निगरण = खाना,निगलना।
नित्यम् -II. ii. 17 निगरणचलनार्थेभ्यः -I. iii. 86
(क्रीडा और जीविका अर्थ में षष्ठ्यन्त सुबन्त अक् निगलने अर्थ वाले एवं चलन अर्थ वाले (ण्यन्त) धातु- अन्तवाले सुबन्त के साथ) नित्य ही ( समास को प्राप्त ओं से (भी परस्मैपद होता है)।
होता है और वह तत्पुरुष समास होता है)। निगृह्य-VIII. 1. 94
नित्यम् -III.1.23 निग्रह करने के पश्चात् (अनुयोग में वर्तमान जो वाक्य, 'नित्य ही (गति अर्थ वाली धातुओं से कुटिलता गम्यउसकी टि को भी विकल्प से प्लुत होता है)। . मान होने पर 'यङ्' प्रत्यय होता है)। .