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....... - V.ii. 100
देखें-शनेलच. V.ii. 100 न-v.iv.5
(अर्धवाची शब्द उपपद हो तो क्तान्त प्रातिपदिक से कन् प्रत्यय) नहीं होता। न-v.iv.69
(पूजनवाची प्रातिपदिक से समासान्त प्रत्यय) नहीं होते। न-V.iv.89
(सङ्ख्या आदि वाले समाहार में वर्तमान तत्पुरुष समास में अहन् शब्द को अह्न आदेश) नहीं होता। न-V. iv. 155 सज्ञाविषय में बहुव्रीहि समास में कप् प्रत्यय नहीं होता
न-VI.1.3
- (अजादि धातु के द्वितीय एकाच-समुदाय के संयोग के आदि में स्थित न् द् तथा र् को द्वित्व) नहीं होता। न-VI.1.20
(वश् धातु को यङ् प्रत्यय के परे रहते सम्प्रसारण) नहीं होता। न-VI.i.37 (सम्प्रसारण के परे रहते सम्प्रसारण) नहीं होता। न-VI.i. 45
(उपदेश में एजन्त व्यञ् धातु को लिट् लकार के परे रहते आकारादेश) नहीं होता। न-VI.i.96
(आमेडितसज्ञक जो अव्यक्तानुकरण का अत् शब्द, उसे इति परे रहते पररूप एकादेश) नहीं होता, (किन्तु आमेडित के अन्त्य तकार को विकल्प से पररूप.एकादेश होता है, संहिता के विषय में)। न-VI.i. 100
(अवर्ण से उत्तर इच प्रत्याहार परे रहते पूर्व,पर के स्थान में पूर्वसवर्ण दीर्घ एकादेश) नहीं होता।
न-VI. 1. 169
(ऊक तथा धातु का जो उदात्त के स्थान में हुआ यण हल पूर्व वाला हो तो उससे उत्तर अजादि सर्वनामस्थान-भिन्न विभक्ति को उदात्त) नहीं होता। न-VI.1. 176
(गो, श्वन.सु = प्रथमा के एकवचन परे रहते जो अवर्णान्त शब्द,राट, अङ्, क्रुङ् तथा कृत् से जो कुछ भी स्वरविधान कहा है वह) नहीं होता। न-VI. ii. 19 (ऐश्वर्यवाची तत्पुरुष समास में पति शब्द उत्तरपद रहते पूर्वपद भू,वाक्,चित् तथा दिधिषू शब्दों को प्रकृतिस्वर) नहीं होता। न-VI. ii.91
(भूत, अधिक,संजीव,मद्र, अश्मन, कज्जल इन पूर्वपदों को अर्म शब्द उत्तरपद रहते आधदात्त) नहीं होता। न-VI. ii. 101 (हास्तिन, फलक तथा मार्देय - इन पूर्वपद शब्दों को पुर शब्द उत्तरपद रहते अन्तोदात्त) नहीं होता। न-VI. ii. 133
(आचार्य,राजन, ऋत्विक,संयुक्त तथा ज्ञाति की आख्या वाले पुत्र उत्तरपद स्थानीय तत्पुरुष समास में आधुदात्त) नहीं होता। न-VI. I. 142
देवतावाची द्वन्द्व समास में अनुदात्तादि उत्तरपद रहते पृथिवी,रुद्र,पूषन, मन्थी को छोड़कर एक साथ पूर्व तथा उत्तरपद को प्रकृतिस्वर) नहीं होता। न-VI. ii. 168
(बहुव्रीहि समास में अव्यय, दिक्शब्द,गो,महत्, स्थूल, मुष्टि, पृथु, वत्स-इनसे उत्तर स्वाङ्गवाची मुख शब्द उत्तरपद को अन्तोदात्त) नहीं होता। न-VI.ii. 176
(बहु से उत्तर, बहुव्रीहि समास में अवयववाची गुणादिगणपठित शब्दों को अन्तोदात्त) नहीं होता। न-VI. ii. 181
नि तथा वि उपसर्ग से उत्तर (अन्तःशब्द को अन्तोदात्त) नहीं होता।