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थलि
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थलि -VI. . 190 (सेट) थल् परे रहते (इट को विकल्प से उदात्त होता है; एवं चकार से प्रकृतिभूत शब्द के आदि.अथवा अन्त को विकल्प से उदात्त होता है)। थलि-VI. iv. 121 (सेट) थल परे रहते (भी अनादेशादि अङ्ग के दो असहाय हलों के मध्य में वर्तमान जो अकार उसके स्थान में एकारादेश तथा अभ्यास का लोप हो जाता है)। थलि-VII. II. 61 (उपदेश में जो अजन्त धात. तास के परे रहते नित्य अनिट्, उससे उत्तर तास् के समान ही) थल् को (इट आगम नहीं होता)। ...थस्... - III. iv.78
देखें-तिप्तस्झि III. iv.78 ...थस्... -III. iv. 101
देखें-तस्-थस्-थ-मिपाम् III. iv. 101 था-V. iii. 26
(हेतु' अर्थ में वर्तमान तथा प्रकारवचन अर्थ में वर्तमान किम् प्रातिपदिक से) था प्रत्यय होता है; (वेदविषय में)। थाथपञ्चताजबित्रकाणाम् -VI. ii. 144
(गति, कारक और उत्तरपद से उत्तर) थ, अथ, घ,क्त, अच, अप, इत्र तथा क प्रत्ययान्त शब्दों को (अन्तोदात्त होता है)। थाल् - V. iii. 23
(प्रकारवचन में वर्तमान किम, सर्वनाम तथा बहु प्रातिपदिकों से) थाल् प्रत्यय होता है। थाल् - V. iii. 111
(प्रल, पूर्व, विश्व,इम – इन प्रातिपदिकों से इवार्थ में) थाल् प्रत्यय होता है, (वेदविषय में)। ...थास्... -III. iv. 78
देखें-तिप्तस्झि० III. iv. 78 थास:-III. iv.80 (टित् लकारों अर्थात् लट्,लिट्, लुट्,लृट, लेट, लोट् के स्थान में जो) थास आदेश,उसके स्थान में (से आदेश होता है)। थासो:-II. iv.79
देखें- तथासोः II. iv.79 . थुक् -v.ii. 51
(षष्ठीसमर्थ षट्, कति, कतिपय तथा चतुर् प्रातिपदिकों से पूरण अर्थ में विहित डट् प्रत्यय के परे रहते) थुक् आगम होता है। . थुक् -VII. iv. 17 (असु क्षेपणे' अङ्ग को अङ् परे रहते) थुक् आगम होता
...थो: - III. iv. 107
देखें-तिथोः III. iv. 107 ...थो: - V. iii. 4 देखें - रथो: V. iii. 4
: -VIII. 1. 38 . देखें - तथो: VIII. ii. 38 . ...थो: - VIII. ii. 40
देखें- तथो: VIII. ii. 40 थ्यन् -V.i.8
(चतुर्थीसमर्थ अज एवं अवि प्रातिपदिकों से 'हित' अर्थ में) थ्यन प्रत्यय होता है।
द-प्रत्याहारसूत्रx
भगवान् पाणिनि द्वारा अपने दशम प्रत्याहार सूत्र में पठित पञ्चम वर्ण।
पाणिनि द्वारा अष्टाध्यायी के आदि में पठित वर्णमाला का उनत्तीसवां वर्ण।
....द... -V. iv. 106
देखें-चुदषहान्तात् V. iv. 106 दः-I.iii. 20
(आङ् उपसर्ग से उत्तर) डुदाञ्' धातु से (आत्मनेपद होता है,यदि वह मुख के खोलने अर्थ में वर्तमान न हो तो)।