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ग्रहवदनिश्चिगमः
गौ:-VI.1.41
ग्रह...-III. iii.58 (साद,सादि तथा सारथि शब्दों के उत्तरपद रहते पूर्वपद) देखें- ग्रहपद० III. iii. 58 गो शब्द को (प्रकृतिस्वर हो जाता है)।
...ग्रह...-VI.iv.62 ...गौडपूर्वे- VI. 1. 100
देखें- अझन० VI. iv. 62 देखें- अरिष्टगौडपूर्वे VI. 1. 100
ग्रह... -VII. ii. 12 ...गौरादिभ्यः - IV.1.40
देखें - ग्रहगुहो: VII. I. 12 देखें-पिद्रौरादिष्य IV.1.40
ग्रह-III. 1. 143 म्मिनि: - V. 1. 124
ग्रह धातु से विकल्प से 'ण' प्रत्यय होता है)। (वाच प्रातिपदिक से 'मत्वर्थ' में) ग्मिनि प्रत्यय होता.
॥ ग्रह-III. iii. 35
(उत् पूर्वक) ग्रह धातु से (कर्तृभिन्न कारक संज्ञा तथा F-I. 1.51
भाव में घञ् प्रत्यय होता है)। (आ उपसर्ग से उत्तर) 'गृ निगरणे' धातु से (आत्मनेपद ग्रहः - III. iii. 45 होता है।
(आक्रोश गम्यमान हो तो अव तथा नि पूर्वक) ग्रह धातु : -III. ill. 29
से (कर्तभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में घन प्रत्यय होता (उद, नि उपपद रहते हुए गृ धातु से (कर्तृभिन्न कारक है। संज्ञा तथा भाव में घञ् प्रत्यय होता है)।
ग्रहः-III. iii.51 T-VIII. 1. 19
(वर्षप्रतिबन्ध अभिधेय होने पर अव पूर्वक) ग्रह धातु - गधातु के रेफ को यङ् परे रहते लत्व होता है)। से (कर्तभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में विकल्प से घब् अन्धान्त.. -VI. III. 78
प्रत्यय होता है)। . देखें-ग्रन्थान्ताधिके VI. I. 78
...ग्रह -III. iv. 36 - अन्यान्ताधिके-VI. 1.78
देखें-ह गृह III. iv.36 अन्य के अन्त एवं अधिक अर्थ में वर्तमान (सह शब्द ग्रह-VIL. I.37 को भी उत्तरपद परे रहते स आदेश होता है)।
ग्रह धातु से (लिभिन्न वलादि आर्धधातुक परे रहते अन्वे-VII.87
इट् को दीर्घ होता है)। . द्वितीयासमर्थ प्रातिपदिक से उसको विषय बनाकर
ग्रहगुहो: - VII. I. 12 बनाया गया अर्थ में यथाविहित प्रत्यय होता है), लक्ष्य
ग्रह,गुह अङ्गों को (तथा उगन्त अगों को सन प्रत्यय परे करके बनाया गया यदि ग्रन्थ हो तो।
रहते इट् आगम नहीं होता)। अन्ये-IV.III. 116
ग्रहणम्-V.ii. 77 (तृतीयासमर्थ प्रातिपदिक से) अन्य (बनाने) अर्थ में
ग्रहण क्रिया के समानाधिकरणवाची (पूरणप्रत्ययान्त (यथाविहित प्रत्यय होता है)।
प्रातिपदिक से स्वार्थ में कन् प्रत्यय होता है, तथा पूरण प्रसित... - VII. 1.34
प्रत्यय का विकल्प से लुक भी हो जाता है)। देखें - प्रसितस्कमित० VII. II. 34
प्रहवदनिश्चिगमः-III. 11.58 असितस्कमितस्तमितोतषितवत्तविकस्ता -VII. II. 34 ग्रह,व, द तथा निर् पूर्वक चि तथा गम् धातुओं से भी
ग्रसित, स्कभित, स्तभित, उत्तभित, चत्त, विकस्त-ये (कर्तृभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में अच् प्रत्यय होता . शब्द (भी वेदविषय में निपातित है)।