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गमि...
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गवाश्वप्रभृतीनि
गर्ध = लालच। गर्भिण्या -II. 1.70 (चतुष्पाद = चार पैर वाले पश आदि के वाचक सुबन्त शब्द समानाधिकरण) गर्भिणी (सुबन्त) शब्द के साथ (विकल्प से समास को प्राप्त होते हैं, और वह तत्पुरुष संज्ञक समास होता है)। ...गर्दा... - I. iv. 95 .
देखें - पदार्थसम्भावनान्ववसर्गः I. iv. 95 गर्हायाम् - III. iii. 142
निन्दा गम्यमान हो तो (अपि तथा जातु उपपद रहते धातु से लट् प्रत्यय होता है)। गर्दायाम् - III. ii. 149
गर्दा = निन्दा गम्यमान हो तो (भी यच्च,यत्र उपपद रहते धात से लिङ प्रत्यय होता है)। गर्हायाम् - VI. ii. 127 -
(चेल,खेट,कटुक,काण्ड-इन उत्तरपद शब्दों को तत्पुरुष समास में) निन्दा गम्यमान होने पर (आधुदात्त होता
गमि... -I.1.29
देखें-गम्यूछिभ्याम् I. 11. 29 ..गमि.. - II. iv. 80
देखें-घसरणश II. iv. 80 ...गमि.. - VII. iii. 77
देखें- इसुगमियमाम् VII. III. 77 ..गमि.. - VII. iv. 33
देखें-भानपु० VII. iv. 33 गमि-II. iv.46 . (अबोधनार्थक इण के स्थान में, णिच् परे रहते) गम् आदेश होता है। . गमः -VII. 1.58 .
गम्ल धातु से उत्तर (सकारादि आर्धधातुक को परस्मैपद परे रहते इट् का आगम होता है)। गम्भीरात् -IV. .58
(सप्तमीसमर्थ) गम्भीर प्रातिपदिक से (भव अर्थ में व्य प्रत्यय होता है)। गम्यादयः-III. iii. 3 (उणादिप्रत्ययान्त) गमी आदि शब्द (भविष्यत् काल के अर्थ में साधु होते है)। गम्यच्छिभ्याम् -I. iii. 29 -
(सम् उपसर्ग से उत्तर अकर्मक) धातुओं से (आत्मनेपद होता है)। ...गर्... - VI. iv. 157 - देखें - प्रस्थस्फ० VI. iv. 157 गर्गादिभ्यः -IV.i. 105
गर्गादि षष्ठीसमर्थ प्रातिपदिकों से (गोत्रापत्य में यञ् प्रत्यय होता है)। ...गर्वोत्तरपदात् - IV. 1. 125 . देखें-कच्छाग्नि IV.ii. 125 गोत्तरपदात्- IV. 1. 136
गर्त शब्द उत्तरपदवाले (देशवाची) प्रातिपदिकों से (शैषिक छ प्रत्यय होता है)। ...गर्थेषु - VII. iv. 34 । देखें-बुभुक्षापिपासा. VII. iv. 34
गर्दा... - III. i. 101
देखें - गर्हापणितव्यः III. 1. 101 गर्दापणितव्यानिरोधेषु -III. 1. 101
(अवध,पण्य,वर्य-ये शब्द यथासंख्य करके) गर्दा = निन्दनीय,पणितव्य = खरीदने योग्य और अनिरोध = . सेवन करने योग्य अर्थों में (यत्प्रत्ययान्त निपातन किये जाते है)। गर्झम् - IV. iv. 30
(द्वितीयासमर्थ प्रातिपदिक से 'देता है' अर्थ में ठक प्रत्यय होता है). यदि देय पदार्थ निन्दित हो। ...गर्दात् - V.ii. 128
देखें - द्वन्द्वोपतापo v.ii. 128 ...गवादिभ्यः -V.i.3
देखें - उगवादिभ्यः V. 1.3 गवाश्वप्रभृतीनि -II. iv. 11
गवाश्व इत्यादि शब्द (यथापठित = कृतैकवद्भाव द्वन्दुरूप ही साधु होते है)।