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कुर्वादिभ्यः
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कुसीददशैकादशात्
कर्वादिय-V.I. 151
...कुश... -IV.1.42 कुरु आदि प्रातिपदिकों से (अपत्यार्थ में ण्य प्रत्यय होता देखें-जानपदकुण्ड- IV.1.42
...कुशल... -II. 1.73
देखें-आयुष्यमद्रभद्र II. iii. 73 कुल..-IV. 1.95 देखें-कुलकुक्षि IV. 1.95
...कुशल... - VII. 1. 30
देखें-शचीश्वर VII. iii. 30 . कुलकुक्षिणीवाभ्यः -IVil.95
कुशल -V. 1.63 कुल, कुक्षि तथा ग्रीवा शब्दों से (यथासङ्ख्य श्वा, (सप्तमीसमर्थ पथिन् प्रातिपदिक से) 'कुशल' अर्थ में असि = खड्ग तथा अलंकरण अभिधेय होने पर जात (वुन् प्रत्यय होता है)। अर्थात् उत्पन्न आदि अर्थों में ढकब प्रत्यय होता है)। ...कुशल:-IVill. 38 कुलटाया: -IV. 1. 127 .
देखें-कृतलब्धकीत IV. 11. 38
....कुशलाभ्याम् -II. 11.40 कुलटा शब्द से (अपत्य अर्थ में ढक् प्रत्यय होता है)।
देखें-आयुक्तकुशलाभ्याम् II. Ill. 40 तथा उस कुलटा को विकल्प से इनङ् आदेश भी होता
...कुशा... -VIII. 11.46
देखें-ककमि० VIII. III. 46 कुलत्व.. -V.in.4
कुशाग्रात् -V. 1. 103 देखें-कुलत्यकोपधात् IV.in.4
कुशाग्र प्रातिपदिक से (इवार्थ में छ प्रत्यय होता है)। कुलत्यकोपधात् - IV.in.4
....कुष... -I.1.7 (ततीयासमर्थ) कलत्थ तथा ककार उपधावाले प्राति
देखें - मृडमदगुषकुपक्लिशक्दवस: I. I. 7
कुषः -VII. 1.46 पदिकों से (संस्कृतम्'अर्थ में अण् प्रत्यय होता है)।
निपूर्वक) कुष् अङ्ग से उत्तर (वलादि आर्धधातुक को कुलात् -V.I. 139
विकल्प से इट् आगम होता है)। । कुल शब्द तथा कुलशब्दान्त प्रातिपदिक से (भी कृषि..-III.1.90 अपत्य अर्थ में ख प्रत्यय होता है)।
देखें-कुपिरजोः III. 1. 90 कुलालादिश्य - IV. 1. 117
कुपिरजोः -III. 1. 90 . (तृतीयासमर्थ) कुलालादि प्रातिपदिकों से (संज्ञा गम्य- ___ कुष और रज् धातु से (कर्मवद्भाव में श्यन् प्रत्यय और मान होने पर कृत अर्थ में वुड् प्रत्यय होता है)।
परस्मैपद होता है,प्राचीन आचार्यों के मत में)। कुलिजात् - V.I.54
...कुपीतकात्.- IV. 1. 124 (द्वितीयासमर्थ द्विगुसज्जक) कुलिजशब्दान्त प्रातिपदिक देखें- विकर्णकुपीतकात् IV. 1. 124 से (सम्भव है' ले आता है' तथा 'पकाता है' अर्थों में ...कुसित... - IV. 1. 37 प्रत्यय का लुक्, ख प्रत्यय तथा ष्ठन् प्रत्यय होते हैं)। देखें - वृषाकप्यग्नि IV. 1. 37 कुल्पापात् - V. 1.
कुसीद.. - IV. iv. 31 (प्रथमासमर्थ) कुल्माष प्रातिपदिक से (सप्तम्यर्थ में अञ् देखें- कुसीददशैकादशात् IV. iv. 31 प्रत्यय होता है,यदि उक्त प्रथमासमर्थ बहुल करके सजा- कुसीददशैकादशात् - IV. iv. 31 विषय में अन्नविषयक हो तो)।
(द्वितीयासमर्थ) कुसीद तथा दशैकादश प्रातिपदिकों से --कुवित्.. - VIII. 1. 30
(निन्दित वस्तु को देता है' - अर्थ में यथासङ्ख्य करके देखें- यदि VIIL.I. 30
छन् और ष्ठच् प्रत्यय होते हैं)।
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