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जाहची
कुणाची - V. 1. 24 (षष्ठीसमर्थ पील्वादि तथा कर्णादि प्रातिपदिकों से यथासङ्ख्य करके 'पाक' तथा 'मूल' अर्थ अभिधेय हों तो) कुणप् तथा जाहच् प्रत्यय होते हैं।
.... कुण्ड.... - IV. i. 42
देखें - जानपदकुण्डo IV. 1. 42
कुण्डम् - VI. ii. 136
(वनवाची उत्तरपद) कुण्ड शब्द को (तत्पुरुष समास में आद्युदात्त होता है।
कुण्डपाय्य....
-III. i. 130
देखें - कुण्डपाय्यसंचाय्यौ III. 1. 130
कुण्डपाय्यसंचाय्य - III. 1. 130
(ऋतु अभिधेय हो तो) कुण्डपाय्य तथा संचाय्य शब्द निपातन किये जाते हैं ।
... कुण्डिनच् -
देखें - अगस्तिकुण्डिनच् II. iv. 70
कुत्वा -V. iii. 89
(छोटा' अर्थ गम्यमान हो तो) कुतू प्रातिपदिक से (डुपच् प्रत्यय होता है)।
तेल रखने की चमड़े की बोतल या कुप्पी
कुतू = .... कुत्स...... - II. iv. 65
देखें – अत्रिभृगुकुत्सo II iv. 65
कुत्सन....
-IV. ii. 127
देखें- कुत्सनप्रावीण्ययो: IV. ii. 127
- II. iv. 70
... कुत्सन... - VIII. 1. 8
देखें – असूयासम्मतिo VIII. 1. 8
कुत्सन... - VIII. i. 27
देखें- कुत्सनाभीक्ष्ण्ययो: VIII. 1. 27 कुत्सनप्रावीण्ययो: - IV. ii. 127
निन्दा तथा नैपुण्य अभिधेय हो तो (नगर प्रातिपदिक से शैषिक वुञ् प्रत्यय होता है) । कुत्सनाभीक्ष्ण्ययोः - VIII. i. 27
( तिङन्त पद से उत्तर) निन्दा तथा पौनःपुन्य अर्थ में वर्तमान (गोत्रादिगण-पठित पदों को अनुदात्त होता है)।
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कृप्य...
कुत्सने - IV. 1. 147
(गोत्र में वर्तमान जो स्त्री, तद्वाची प्रातिपदिक से) निन्दा गम्यमान होने पर (अपत्य अर्थ में ण प्रत्यय होता है, और ठक् भी)।
कुत्सने - VIII. 1. 69
(गोत्रादिगण-पठित शब्दों को छोड़कर) निन्दावाची सुबन्त के परे रहते ( भी सगतिक एवं अगतिक दोनों तिङन्तों को अनुदात्त होता है) ।
.... कुत्सनेषु - VIII. ii. 103
देखें – असूयासम्मति० VIII. it. 103 कुत्सनैः - II. 1. 52
कुत्सन= निन्दावाची (समानाधिकरण सुबन्त) शब्दों के साथ (कुत्सित = निन्दितवाची सुबन्त शब्द विकल्प से समास को प्राप्त होते हैं, और वह तत्पुरुष समास होता है) ।
कुत्सितानि - II. 1. 52
कुत्सितवाची = निन्द्यवाची (सुबन्त) शब्द (कुत्सनवाची = निन्दावाची समानाधिकरण सुबन्तों के साथ · विकल्प करके समास को प्राप्त होते हैं, और वह समास तत्पुरुषसंज्ञक होता है) ।
कुत्सिते - V. iii. 74
'निन्दित' अर्थ में वर्तमान (प्रातिपदिक तथा तिङन्त से यथाविहित प्रत्यय है।
कुत्सितैः - II. 1. 53 (कुत्सनवाची पाप और अणक शब्द) कुत्सित= निन्दितवाची (सुबन्तों) के साथ (विकल्प से समास को प्राप्त होते हैं, और वह तत्पुरुष समास होता
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अणक = घृणित |
कुधपरे
- VI. i. 116
(यजुर्वेद - विषय में) कवर्ग तथा धकारपरक (अनुदात्त अकार) के परे रहते (भी एड् को प्रकृतिभाव होता है)। ... कुन्ति... -IV. i. 174
देखें - अवन्तिकुन्तिo IV. 1. 174
... कुप्य... - III. 1. 114
देखें – राजसूयसूर्य० III. 1. 114