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कंशम्भ्याम्
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कंशम्भ्याम् -V.ii. 138
कक्... - IV. iv. 21 कम तथा शम् प्रातिपदिकों से (मत्वर्थ में ब,भ,युस.ति, देखें- कक्कनौ IV. iv. 21 तु,त तथा यस् प्रत्यय होते हैं)।
कक्कनौ - IV. iv. 21 कः - III. 1. 135
(तृतीयासमर्थ अपमित्य और याचित प्रातिपदिकों से (इक उपधावाली धातुओं से तथा ज्ञा,प्री तथा कृ धातु
निर्वृत्त अर्थ में यथासङ्ख्य करके) कक और कन प्रत्यय . से) क प्रत्यय होता है।
होते हैं। कः-III.i. 144 (गेह वाच्य होने पर ग्रह धात से) क प्रत्यय होता है। ककुदस्य - V. iv. 146 कः -III. 1.3
(बहुव्रीहि समास में) ककुद शब्दान्त का (समासान्त (अनुपसर्ग आकारान्त धातु से कर्म उपपद रहते) क लोप होता है, अवस्था गम्यमान होने पर)। प्रत्यय होता है।
कक्षीवत् - VIII. ii. 12 क: - III. iii.41 (निवास, चिति = चयन, शरीर तथा उपसमाधान
कक्षीवत् शब्द का निपातन किया जाता है। =राशि अर्थों में चिञ् धातु से घञ् प्रत्यय होता है तथा ...कच्चित् - VIII. I. 30 चित्र के आदि चकार को) ककारादेश हो जाता है,(कर्तृ- देखें- यद्यदिO VIII. I. 30 . भिन्न कारक संज्ञाविषय तथा भाव में)।
कच्छ... - IV. ii. 125 कः -V. iii.70
देखें- कच्छाग्निवक्त्र० IV. ii. 125 (इवे प्रतिकृतौ' v. iii. 70 सूत्र से पहले पहले) क
कच्छाग्निवकागतॊत्तरपदात् - IV. ii. 125 .. प्रत्यय अधिकृत होता है।
(देश में वर्तमान) कच्छ, अग्नि, वक्त्र, गर्त - ये उत्तकः-v.iv. 28 (अवि प्रातिपदिक से स्वार्थ में ) क प्रत्यय होता है।
रपद में है जिनके, ऐसे (वृद्धसंज्ञक तथा अवृद्धसंज्ञक)
प्रातिपदिकों से (शैषिक वुज् प्रत्यय होता है)। क: - VII. ii. 103 (किम् अङ्ग को विभक्ति परे रहते) क आदेश होता है। कच्छादिभ्यः - IV.ii. 132 , क: -VII. iii. 51
(देशविशेषवाची) कच्छादि प्रातिपदिकों से (भी शैषिक (इसन्त,उसन्त,उगन्त तथा तकारान्त अङ्ग से उत्तर ठ के अण प्रत्यय होता है)। स्थान में) क आदेश होता है।
....कज्जलम् - VI. ii.91 कः -VIII. ii. 41
देखें - भूताधिक० VI. ii. 91. (षकार तथा ढकार के स्थान में) क आदेश होता है, (सकार परे रहते)।
कञ्-III. ii. 60 क: -VIII. ii. 51
(अनालोचन अर्थ में वर्तमान 'दृश्' धातु से त्यदादि (शुष् शोषणे' धातु से उत्तर निष्ठा के तकार को) कका
शब्द उपपद रहते) कञ् प्रत्यय होता है, (तथा चकार से रादेश होता है।
क्विन् भी होता है)। क: - VIII. iii. 50
...क... - IV.i. 15
देखें- टिड्ढाण IV. 1. 15 देखें - कःकरत VIII. iii. 50 कःकरत्करतिकृधिकृतेषु - VIII. iii. 50
कटच् - V.ii. 29 कः,करत,करति, कृधि,कृत - इनके परे रहते (अदिति
__ (सम्, प्र, उत् तथा वि - इन उपसर्ग प्रातिपदिकों से) को छोड़कर जो विसर्जनीय उसको सकारादेश होता है,
कटच् प्रत्यय होता है। वेद-विषय में)।
कटादेः - IV.ii. 138 ...कक्... - IV. ii. 79
कट शब्द आदि में है जिनके,ऐसे (प्राग्देशवाची) प्रातिदेखें-खुच्छण्कठO IV.ii.79
पदिकों से (शैषिक छ प्रत्यय होता है)।