________________
136
...एदिताम्
,
...एत्.. -V. iv. 11
एतयो:-IV.III. 140 देखें-किमेत्तिड V. iv. 11
(षष्ठीसमर्थ प्रातिपदिकों से भक्ष्य तथा आच्छादनएत् -VI. iv. 119
वर्जित) विकार तथा अवयव अर्थों में (लौकिक प्रयोग (घु सज्जक अङ्ग एवं अस को) एकारादेश (तथा अभ्यास
विषय में विकल्प से मयट् प्रत्यय होता है)। का लोप) होता है; हि,क्डित् परे रहते)।
एति... - III.i. 109 एत् - VII. ili. 103
देखें - एतिस्तु III. i. 109 . (अकारान्त अङ्ग को बहुवचन झलादि सुप् परे रहते)
एति - IV. iv. 42
(द्वितीयासमर्थ प्रतिपथ प्रातिपदिक से)'जाता है'- अर्थ एकारादेश होता है।
में (ठन् तथा ठक् प्रत्यय होते है)। एत...-v.ii. 4
एति.. -VI.1.86 देखें- एतेतौ V. 1.4
देखें - एत्येधत्यूठसु VI. 1.86 एत -III. iv.90
एति-VII. iii.99 (लोट् सम्बन्धी) जो एकार,उसे (आम आदेश होता है)। (गकार-भिन्न इण तथा कवर्ग से उत्तर सकार को) एकार
परे रहते (सञ्जाविषय में मूर्धन्य आदेश होता है)। एत-III. iv. 93 (लोट् लकार सम्बन्धी उत्तम पुरुष का) जो एकार,उसके
एति - VII. iv. 51
(तास और अस के सकार को एकारादेश होता है).एकार स्थान में (ऐं' आदेश होता है)।
परे रहते । एत:-III. iv.96 (लेट् सम्बन्धी) जो एकार, उसके स्थान में (ऐकारादेश
एतिस्तुशास्वदजुषः -III. 1. 109 बिकल्प से होता है, आत ऐं' सूत्र के विषय को छोड़कर)। ___ इण.ष्टुञ,शासु,ज.दङ, जुषी - इन धातुओं से (क्यप् एत:-VIII. 1. 81..
प्रत्यय होता है)। (असकारान्त अदस शब्द के दकार से उत्तर) एकार के एते:-VII. iv. 14 स्थान में (ईकारादेश भी होता है, एवं दकार को मकार भी (उपसर्ग से उत्तर) 'इण् गतौ' अङ्ग को (यकारादि कित्, होता है; बहुत पदार्थों को कहने में)।
डित् लिङ् परे रहते ह्रस्व होता है)1. एतत्...-VI. 1. 128
एतेतौ -V. iii. 4. देखें - एत्तदो: VI. i. 128
(इदम् शब्द के स्थान में रेफादि तथा थकारादि प्रत्ययों ...एतत्... -VI. 1. 162
के परे रहते यथासङ्ख्य करके) एत तथा इत आदेश होते देखें-इदमेतत् VI. II. 162 एतत्तदोः -VI.1. 128
...एतेभ्यः -Vil. 39 (ककार जिनमें नहीं है तथा जो नब समास में वर्तमान देखें- यत्तदेतेभ्य: V. 1.39 नहीं है। ऐसे) एतत तथा तत् शब्दों के (स का लोप हो एतेभ्य: -V. iv.88 जाता है, हल् परे रहते; संहिता के विषय में)।
इन (सङ्ख्यावाची, अव्ययवाची तथा सर्व,एकदेशवाएतदः -II. iv. 33 .
चक शब्द सङ्ख्यात और पुण्य शब्द) से उत्तर(अहन् शब्द (अन्वादेश में वर्तमान) एतत् के स्थान में (त्र और तस्
के स्थान में अह्न आदेश होता है,तत्पुरुष समास में)। प्रत्ययों के परे रहते अनुदात्त अश् होता है, तथा च और
एत्येपत्यूठसु -VI. 1. 86.
इण् गतौ धातु के एच से पूर्व तथा एध एवं ऊठ के अच् तस् भी अनुदात्त हो जाते है)।
से पूर्व (जो अवर्ण तथा उस अवर्ण से उत्तर जो अच,उन एतदः-v.iil.5
दोनों पूर्व पर के स्थान में संहिता के विषय में वृद्धि (दिक्शब्देभ्यः सप्तमी.'v.iii.27 सत्र तक कहे जाने एकादेश होता है)। वाले प्रत्ययों के परे रहते) एतत् के स्थान में (अन् आदेश ...एदिताम् - VII. II.S होता है)।
देखें-हवन्तक्षण. VII. 1.5