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एकयोः
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एकस्मिन्
...एकयोः -I. iv. 22
अनपुंसकगुण का ही वैशिष्ट्य हो,शेष प्रकृति आदि समान देखें -दूचेकयोः I. iv. 22
ही हो)। एकवचन... -I.iv. 101
एकवत् -I.iv. 105. देखें - एकवचन द्विवचनबहुवचनानि I. iv. 101 (परिहास गम्यमान हो रहा हो तो भी, मन्य है उपपद एकवचन द्विवचनबहुवचनानि -I. iv. 101
जिसका, ऐसी धातु से युष्मद् उपपद रहते, समान (उन तिडों के तीन-तीन अर्थात त्रिक की एक-एक करके
अभिधेय होने पर युष्मद् शब्द का प्रयोग हो या न हो, क्रम से) एकवचन,द्विवचन और बहुवचन संज्ञा होती है।
मध्यम पुरुष हो जाता है तथा उस मन धातु से उत्तम पुरुष
हो जाता है और उस उत्तम पुरुष को) एकवत् = एकत्व एकवचनम् - I. ii. 61 (वेदविषय में पुनर्वसु नक्षत्र के द्वित्व अर्थ में विकल्प से)
(भी) हो जाता है। एकत्व होता हैं।
एकवर्जम् - VI.i. 152 एकवचनम् - II. iii. 49
(जिस एक पद में उदात्त या स्वरित विधान किया है, (आमन्त्रितसंज्ञक प्रथमा विभक्ति का) एकवचन
उसी के) एक अच् को छोड़कर (शेष पद अनुदात्त अच् (संबुद्धिसञक होता है)।
वाला हो जाता है)। एकवचनम् - II. iv.1
एकविभक्ति -I. ii. 44 (द्विगु समास) एकवचनान्त होता है।
(समास विधीयमान होने पर) नियतविभक्तिवाला पद एकवचनस्य - VII. 1. 32
(भी उपसर्जन संज्ञक होता है, पूर्वनिपात उपसर्जन कार्य (युष्मद् अस्मद् अङ्ग से उत्तर पञ्चमी के) एकवचन के को छोड़कर)। . स्थान में (भी अत् आदेश होता है)।
एकविभक्तौ-I. ii.64 एकवचनस्य-VIII. 1.22
एक = समान विभक्ति के परे रहते (समानरूप वाले (पद से उत्तर अपादादि में वर्तमान) एकवचन वाले शब्दों में से एक शेष रह जाता है, अन्य हट जाते है)। (युष्मद, अस्मद् पद) को (क्रमशःते.मे आदेश होते है और एकश-I. iv. 101 वे अनुदात्त होते है)।
(उन तिों के तीन-तीन की) एक एक करके क्रम से ....एकवचनात् - V.iv.43
(एकवचन,द्विवचन और बहुवचन संज्ञा होती है)। देखें -संख्यैकवचनात् V. iv. 43
एकशालायाः-v. iii. 109 ...एकवचने-I. iv. 22
एकशाला प्रातिपदिक से (इवार्थ में विकल्प से ठच - देखें - द्विवचनैकक्चने I. iv. 22
प्रत्यय होता है)। एकवचने - IV. iii. 3
एकशेष -I. 1.64 . एक अर्थ को कहने वाले (युष्मद,अस्मद् शब्दों के स्थान
(समान रूप वाले शब्दों में से) एक शेष रह जाता है में यथासङ्ख्य तवक,ममक आदेश होते है,उस ख तथा
(अन्य हट जाते है,एक विभक्ति के परे रहते)। अण् प्रत्यय के परे रहते)।
एकश्रुति -1. ii. 33 एकवचने - VII. ii.97 एक अर्थ का कथन करने वाले (युष्मद्, अस्मद् अङ्गके
(दूर से बुलाने में वाक्य) एकश्रुति = एक जैसा स्वर
वाला हो जाता है। मपर्यन्त भाग को क्रमशः त्व,म आदेश होते है)।
एकस्मिन् -I.1.20 एकवत् -I. ii. 69 (नपुंसकलिङ्ग शब्द नपुंसकलिङ्गभिन्न शब्द अर्थात्
एक में (भी आदि के समान और अन्त के समान कार्य
। स्त्रीलिङ्ग पुंल्लिङ्ग शब्दों के साथ शेष रह जाता है, तथा ।
होते है। स्त्रीलिङ्ग पुंल्लिङ्ग शब्द हट जाते है एवं उस नपंसकलिङ्ग एकस्मिन् -1.li.58 शब्द को विकल्प से) एकवत् अर्थात् एक के समान कार्य (जाति को कहने में) एकत्व अर्थ में विकल्प करके बहत्व (भी) हो जाता है, (यदि उन शब्दों में नपुंसकगुण एवं हो जाता है)।