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उपवायाम्
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उपमाने
उपधायाम् -VIII. I. 78
....उपमन्त्रणेषु-1. iii. 47 (हल् परे रहते धातु के) उपधाभूत (रेफ एवं वकार की देखें - भासनोपसम्भाषा० I. iii. 47 उपधा इक् को भी दीर्घ होता है)।
...उपमान... - VI. 1.2 उपघालोपिन: - IV. 1. 28
देखें - तुल्यार्थ. VI. ii. 2 उपधालोपी अर्थात् जिसकी उपधा का लोप हुआ हो,
उपमानम् -VI.i. 198 ऐसे (बहुव्रीहि समासवाले अन्नन्त) प्रातिपदिक से
उपमानवाची शब्द को (संज्ञा विषय में आधुदात्त होता (स्त्रीलिंग में विकल्प से ङीप् प्रत्यय होता है)। ...उपधि.. - V.1.13
उपमान = तुलना या तुलना का मापदण्ड । देखें-छदिरुपधिबले: V.1.13.
उपमानम् -VI. ii. 80
उपमानवाची (पूर्वपद णिनि प्रत्ययान्त शब्दार्थक धातु ...उपनिषदौ-I. iv.78
के उत्तरपद होने पर ही आधुदात्त होता है)। देखें-जीवकोपनिषदौ I. iv.78.
उपमानम् -VI. ii. 127 ...उपनीके-IV. 11.40
(तत्पुरुष समास में) उपमानवाची (उत्तरपद चीर) शब्द देखें-उपजानुपको IV. 1.40
को (आधुदात्त होता है)। उपपदम् -II. 1. 19
उपमानात् -III.1. 10 समीपोच्चरित पद (तिभिन्न समर्थ शब्दान्तर के साथ उपमानवाची (सबन्त कम) से (आचार अर्थ में विकल्प : नित्य समास को प्राप्त होता है),और वह तत्पुरुष समास ।
से क्यच् प्रत्यय होता है)। होता है।
उपमानात् - V. iv.97 उपपदम् - III. 1. 92
उपमानवाची (श्वन् शब्दान्त तत्पुरुष ) से (समासान्त (इस धातोः सूत्र के अधिकार में सप्तमी विभक्ति से टच् प्रत्यय होता है, यदि वह श्वन् शब्द प्राणिविशेष का निर्दिष्ट पदों की) उपपद संज्ञा होती है।
वाचक न हो तो)। ....उपपदात् - VI. 1. 139
उपमानात् - V. iv. 137 देखें- गतिकारको० VI. II. 139
उपमानवाची शब्दों से उत्तर (भी गन्ध शब्द को समाउपपदे -I. iv. 104
सान्त इकारादेश हो जाता है,बहुव्रीहि समास में)। (युष्मद् शब्द के) उपपद रहते (समान अभिधेय होने पर ...उपमानात् -VI. 1. 145 युष्मद् शब्द का प्रयोग हो या न भी हो, तो भी मध्यम देखें - सूपमानात् VI. II. 145 पुरुष होता है)।
.....उपमानात् -VI. ii. 169 उपपदेन - 1. il.77
देखें-निष्ठोपमानात् VI. ii. 169 उपपद= समीपोच्चरित पद के द्वारा (कभिप्राय क्रिया
उपमानानि -II.i. 54 फल के प्रतीत होने पर धातु से विकल्प करके आत्मनेपद
उपमान वाचक (सुबन्त) शब्द (सामान्य वाचक समानाधिकरणं सुबन्तों के साथ विकल्प से तत्पुरुष समास को
प्राप्त होते है)। अपराभ्याम् -III. 39
उपमाने-III. 1.79 उप एवं परा उपसर्ग से उत्तर (क्रम् धातु से आत्मनेपद उपमानवाची (कर्ता) उपपद रहते (धातुमात्र से 'णिनि' होता है; वृत्ति,सर्ग तथा तायन अर्थों में)।
प्रत्यय होता है)।. . 'उपपडल्यकर्षः - III. in.49
उपमाने-III. V. 45 (तृतीयान्त तथा सप्तम्यन्त उपपद हो तो) उपपूर्वक पीड, उपमानवाची (कर्म) उपपद रहते (और चकार से कर्ता रुप तथा कई धातुओं से (भी णमुल् प्रत्यय होता है। उपपद रहते धातुमात्र से णमुल् प्रत्यय होता है। "
होता है)। ..
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