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इचार्यो:
इचार्यो: -III. ii. 130
इजुपधात् -VIII. iv. 30 इङ् तथा ण्यन्त धू धातु से (वर्तमान काल में शतृ प्रत्यय इच उपधा वाले (हलादि) धातु से उत्तर (विहित जो कृत् होता है, यदि 'जिसके लिए क्रिया कष्टसाध्य न हो', ऐसा
प्रत्यय,तत्स्थ अच् से उत्तर नकार को भी उपसर्ग में स्थित कर्ता वाच्य हो तो)।
निमित्त से उत्तर विकल्प से णकारादेश होता है)। इच -v.iv. 127
इञ्-III. iii. 110 (कर्मव्यतिहार अर्थ में जो बहुव्रीहि समास, तदन्त से
(उत्तर तथा परिप्रश्न गम्यमान होने पर धातु से स्त्रीलिंग समासान्त) इच् प्रत्यय होता है।
कर्तृभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में विकल्प से) इब प्रत्यय इच: - VI. iii.67
होता है.(चकार से ण्वुल भी होता है)। (खिदन्त उत्तरपद रहते) इजन्त (एकाच) को (अम् आगम हो जाता है और वह अम् प्रत्यय के समान भी माना जाता इ -IV.I.95
(षष्ठीसमर्थ अकारान्त प्रातिपदिक से अपत्य मात्र को इचि-VI.i. 100
कहने में) इन् प्रत्यय होता है। (अवर्ण से.उत्तर) इच प्रत्याहार परे रहते (पूर्व पर के स्थान ब-IV.I. 153 में पूर्वसवर्ण दीर्घ एकादेश नहीं होता है)।
(उदीच्य आचार्यों के मत में सेनान्त, लक्षण तथा कारिइच्छति -I. iv. 28
वाची प्रातिपदिकों से अपत्य अर्थ में) इञ् प्रत्यय होता है। (व्यवधान के कारण जिससे छिपना) चाहता है, (उस कारक की अपादान सजा होती है)।
इ -IV.I. 171 इच्छा -Iii. iii. 101 ,
(क्षत्रियाभिधायी जनपदवाची साल्व के अवयववाची इच्छा शब्द स्त्रीलिंग भाव में श प्रत्ययान्त निपातन किया तथा प्रत्यप्रथ, कलकूट तथा अश्मक प्रातिपदिकों से जाता है।
अपत्य अर्थ में) इञ् प्रत्यय होता है। इच्छायाम् -III.1.7
...इ..-IV. 1.79 इच्छा अर्थ में (इच्छा कर्मवाली जो धातु,इच्छा के साथ देखें-दुग्छण्कठ० IV. 1.79 . समानकर्तृक,उससे सन् प्रत्यय विकल्प से होता है)। इन-II. iv.60 इच्छार्थेभ्यः -III. 1. 160
(प्राग्देश वालों के गोत्रापत्य में आया) जो इञ् प्रत्यय, इच्छार्थक धातुओं से (वर्तमान काल में विकल्प से लिङ्
तदन्त प्रातिपदिक से (युवापत्य में विहित प्रत्ययों का लुक प्रत्यय होता है,पक्ष में लट)।
होता है)। इच्छार्थेषु -III. iii. 157 . इच्छार्थक धातुओं के उपपद रहते (लिङ् तथा लोट् ।
इक-II. iv.66 प्रत्यय होते है)।
इञ् प्रत्यय का (बहुत अच् वाले शब्द से उत्तर भरत इच्छु: -III. ii. 169
गोत्र और प्राच्य गोत्र के बहुत्व की विवक्षा होने पर लुक इष धातु से उ प्रत्यय तथा ष को छ निपातन से करके इच्छु शब्द का निपातन किया जाता है।
इकः - IV. ii. 111 इजादेः -III. I. 36
(गोत्रप्रत्ययान्त) इजन्त प्रातिपदिकों से (भी अण प्रत्यय (ऋच्छ धातु को छोड़कर) इच् प्रत्याहार आदिवाली (तथा
होता है)। गुरुमान) धातु से (लिट् परे रहते आम् प्रत्यय होता है, लौकिक विषय में)।
...इलाम्-IV.ili. 127 इजादेः-VIII. iv. 31
देखें - अव्यजिजाम् IV. ill. 127 . (उपसर्ग में स्थित निमित्त से उत्तर) इच् आदि वाला जो इजि - VII. iii. 8 (नुम् सहित हलन्त) धातु, उससे विहित (जो कृत् प्रत्यय, (श्वन आदि वाले अङ्ग को) इज् प्रत्यय परे रहते (जो तत्स्थ नकार को अच् से उत्तर णकार आदेश होता है)। कुछ कहा है,वह नहीं होता)।