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इक् - 1147
(एच् ए ओ, ऐ, औ के स्थान में हस्वादेश करने में) इक् = इ, उ, ऋ, लृ ही होता है।
इक - L. 13
(गुण हो जाये, वृद्धि हो जाये ऐसा नाम लेकर जहाँ गुण, वृद्धि का विधान किया जाये, वहाँ वे ) इक् = इ, उ, ऋ, लृ के स्थान में ही हों।
इक: - I. 1. 9
इगन्त धातु से परे (झलादि सन् प्रत्यय कित्वत् होता है)।
इक: - VI. 1. 74
इक् = इ, उ, ऋ, लृ के स्थान में (यथासंख्य करके यण् = य्. व. र् ल् आदेश होते है; अच् परे रहते, संहिता के विषय में) ।
इक: - VI. 1. 123
(असवर्ण अच् परे हो तो) इक् को (शाकल्य आचार्य के मत में प्रकृतिभाव हो जाता है तथा उस इक् के स्थान में ह्रस्व भी हो जाता है)।
इक: - VI. iit. 60
(डी अन्त में नहीं है जिसके, ऐसा ) जो इक् अन्त वाला शब्द, उसको (गालव आचार्य के मत में विकल्प से हस्व होता है, उत्तरपद परे रहते) ।
इक: - VI. ill. 120
(पीलु शब्द को छोड़कर) जो इगन्त पूर्वपद, उसको (वह शब्द के उत्तरपद रहते दीर्घ होता है)।
इक: - VI. iii. 122
इगन्त (उपसंर्ग) को (काश शब्द उत्तरपद रहते दीर्घ होता है. संहिता के विषय में)।
इक: - VI. lii. 133
इगन्त शब्द को (सुञ् परे रहते ऋचा विषय में दीर्घ हो जाता है)।
इक - VII. 1. 73
इक् अन्तवाले (नपुंसकलिंग) को (अजादि विभक्ति परे रहते नुम् आगम होता है)।
@ VII. iii. 50
(अङ्ग के निमित्त ठ को) इक आदेश होता है।
इक: - VIII. 1. 76
(रेफान्त तथा वकारान्त जो धातु पद, उसकी उपधा) इक् को (दीर्घ होता है)।
96
....इकान्त... - IV. II. 140
देखें अकेकात०] IV. II. 140
...... - VIII. Iv. 5
देखें - प्रनिरन्त० VIII. Iv. 5
इगन्त... - VI. 1. 29
देखें - इगन्तकालo Vi. ii. 29 इगन्तकालकपाल भगालशरावेषु VIII. 29
( द्विगुसमास में ) इगन्त उत्तरपद रहते तथा कालवाची एवं कपाल, भगाल, शराव इन शब्दों के उत्तरपद रहते (पूर्वपद को प्रकृतिस्वर होता है ) ।
इगन्तात् - V. 1. 130
=
(षष्ठीसमर्थ लघु हस्व अक्षर पूर्व में है जिसके ऐसे) इक्- इ, उ, ऋ, लृ अन्तवाले प्रातिपदिक से भी भाव और कर्म अर्थों में अण् प्रत्यय होता है)।
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इगुपध... III. i. 135
देखें इगुपधज्ञा०] III. L. 135
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इगुपधज्ञाप्रीकिर - III. 1. 135
-
इक् उपधावाली धातुओं से तथा ज्ञा, प्री कृ इन धातुओं से (क प्रत्यय होता है ) ।
इगुपधात् - III. 1. 45.
इक् उपधा वाली जो शलन्त और अनिट) धातु, उससे उत्तर (चिल के स्थान में 'क्स' होता है, लुङ् परे रहते ) ।
. इङ्... - I. iii. 86
देखें - बुधयुधनराजने I. iii. 86
इससे
इङ्... - III. ii. 130
देखें - इयाय III. II. 130
--... - VI. L. 47
देखें - क्रीड्जीनाम् VI. 1. 47.
इड - II. iv. 48
इङ् के स्थान में भी गम् आदेश होता है, आर्धधातुक सन् परे रहते) ।
इङः
III. iii. 21
इङ् धातु से (भी कर्तृभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में घन् प्रत्यय होता है)।
.... इडते. - VI. 1. 180
देखें- अहो VI. 1. 180