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आमेडितेषु
आर्धधातुकस्य
आयुधजीविसङ्घात् - V. iii. 114 (वाहीक देशविशेष में) शस्त्रों से जीविका कमाने वाले पुरुषों के समूहवाची प्रातिपदिकों से (ज्यट् प्रत्यय होता है, ब्राह्मण और राजन्य को छोड़कर)। आयुधात् -IV. iv. 14 (तृतीयासमर्थ) आयुध प्रातिपदिक से (छ तथा ठन् प्रत्यय
होते है)।
....आप्रेडितेषु - VIII. I. 57
देखें-चनचिदिव. VIII. 1.57 ...आय... -VI.i.75
देखें- अयवायाव: VI.1.75 ...आय... - V.i. 46
देखें - वृद्ध्यायलाभ० V.i. 46 आय: - III. I. 28 (गुप, धूप,विच्छ,पणि और पनि धातओं से स्वार्थ में) आय प्रत्यय होता है। आयन्... - VII.1.2 देखें-आयनेयीovi.i.2 आयनेयीनीयियः - VII. 1.2 .
(प्रत्यय के आदि के फ,द,ख,छ् तथा घ् को यथासङ्ख्य करके) आयन, एय, ईन, ईय् तथा इय् आदेश होते है। आयस्थानेभ्य: - IV. iii. 75. (पञ्चमीसमर्थ) आयस्थानवाची= आय अर्थात् स्वामी के ग्राह्य भाग के उत्पन्न होने का स्थल,तवाची प्रातिपदिकों से (आगत अर्थ में ठक् प्रत्यय होता है)। आयादयः -III.i.31
आय आदि = आय,ईयङ्,णिङ् प्रत्यय (आर्धधातुक के विषय में विकल्प से होते हैं)। आयाम: -II.i. 15 .
(अनु जिसका) आयामवाची = विस्तारवाची है, (ऐसे । लक्षणवाची समर्थ सुबन्त के साथ भी अनु का विकल्प से समास होता है और वह अव्ययीभाव समास होता है)। आयामे - V. iv. 83 . (अनुगव शब्द अच् प्रत्ययान्त निपातन किया जाता है). लम्बाई अभिधेय हो तो। आयुक्त... - II. iii. 40 देखें-आयुक्तकुशलाभ्याम् II. iii. 40 आयुक्तकुशलाभ्याम् -II. iii. 40
आयुक्त तथा कुशल शब्दों के योग में (भी षष्ठी और सप्तमी विभक्ति होती है, तत्परता गम्यमान होने पर)। आयुधजीविभ्यः - IV. iii. 91 (प्रथमासमर्थ पर्वतवाची प्रातिपदिकों से 'वह इसका अभिजन'- इस अर्थ में छ प्रत्यय होता है),आयुधजीवियों अर्थात शस्त्रों से जीविका चलाने वालों को कहने के लिये।
...आयुषः -VIII. iii. 83
देखें-ज्योतिरायुषः VIII. iii. 83 आयुष्य.. - II. iii. 73 देखें - आयुष्यमद्रभद्र० II. i. 73 आयुष्यमद्रभद्रकुशलसुखार्थहितैः-II. iii. 73
(आशीर्वाद गम्यमान होने पर) आयुष्य,मद्र,भद्र,कुशल, सुख,अर्थ,हित- इन शब्दों के प्रयोग में (शेष विवक्षित होने पर विकल्प से चतुर्थी विभक्ति होती है,चकार से पक्ष में षष्ठी भी होती है)। ...आय्य..-VI. iv. 55
देखें-आमन्ता० VI. iv.55 आरक्-IV.i. 130
(गोधा प्रातिपदिक से उत्तरदेशवासी आचार्यों के मत में) आरक् प्रत्यय होता है। ...आरात्... - II. iii. 29
देखें- अन्यारादितरते. II. iii. 29 आरु -III. ii. 173 .. (श तथा वदि धातुओं से तच्छीलादि कर्ता हो तो वर्तमान काल में) आरु प्रत्यय होता है। ...आरूढयो: -v.ii. 34 ,
देखें-आसन्नारूढयो: V. ii. 34 ...आर्द्रा... -IVii. 28
देखें-पूर्वाहणापराहणार्दा IV. iii. 28 आर्धधातुकम् -III. iv. 114 (धातु से विहित तिङ,शित से शेष बचे जो प्रत्यय. उनकी) आर्धधातुक संज्ञा होती है। ...आर्धधातुकयो: - VII. iii. 84
देखें - सार्वधातुकार्ध० VII. iii. 84 आर्धधातुकस्य-VII. ii. 35
(वल् प्रत्याहार आदि में है जिसके. ऐसे) आर्धधातुक को (इट का आगम होता है)।