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(३)विद्याध्ययन-श्रीमान् का विद्याध्ययन जन्म से पंचमवर्ष में शुभ मिती माघ शुक्ला ५ वि० सं० २६२८ से प्रारम्भ हुआ। सन् १८८४ ई० में उर्दू मिडिल पास किया। इसी वर्ष में श्रीमान् के पूज्य पिता जी का स्वर्गवास हो गया जिससे पैतृक धनादि के सर्वथा अभाव के कारण आगे के लिये विद्याध्ययन में बहुत कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। तौ भी अपने पितामहके एक चचेरे भ्राता कविवरला०फकीरचन्द्रजी की कुछ सहायतासे तथाउर्दू मिडिल पास करने के उपलक्ष में मिले हुए गवन्मेंट स्कालरशिप और कुछ प्राइवेट ठ्य शन की आय से अपना और अपनी पूज्य माता जी का पालन पोषण करते हुए जिस प्रकार बना बुलन्दशहर हाईस्कूल से सन् १८८९ ई० में अंग्रेज़ी मिडिल, और सन् १८९१ ई० में फ़ारसी भाषा के साथ ऐंट्स पास कर लिया।
उन दिनों सर्कारी स्कूलों में आज कल की समान उर्दू हिन्दी दोनों भाषाएँ साथ २ न पढ़ाई जाने के कारण ऐंट्रन्स पाल करने तक आपको हिन्दी भाषा में कुछ अभ्यास न था। धार्मिक रुचि अधिक होने और नित्यप्रति बाल्यावस्था ही से धर्मशास्त्र श्रवण करते रहने में दत्तचित्त रहने से हिन्दी भाषा सीखने की अभिलाषा होने पर भी ऐंट्रेन्स पास कर चकने तक उसे सीखने का शुभ अवसर प्राप्त न हो सका । वरन् पेट्रन्स पास करके अवसर मिलते ही थोड़े ही काल में हिन्दी भाषा में भी यथा आवश्यक स्वयम् ही अभ्यास करके मई सन् १८६२ से नित्यप्रति नियम पूर्वक शास्त्राध्ययन और शास्त्रस्वाध्याय का कार्य प्रारंभ कर दिया और तभी से यह भी प्रतिज्ञा कर ली कि “पर्याप्त योग्यता प्राप्त करने और अब. सर मिलने पर अपनी मातृभाषा हिन्दी की सेवा जो कुछ बन पड़ेगी अवश्य करूँगा"। (४) गवन्मेंटसर्विस--सन् १८६१ ई० में ऐंट्स पास करने के पश्चात् लगभग दो वर्ष तक कलक्टरी के अङ्गरेज़ी दफ्तर में तथा नहर गंग के व डिस्ट्रिक्ट एंजिनियर के ऑ. फ़िसों में अवैतनिक व सवैतनिक कार्य करके अन्त में शिक्षक विभाग को अपने लिये अधिक उपयोगी और उत्कोच आदि दोषों से मुक्त तथा विद्योन्नति व आत्मोत्कर्ष में अधिक सहायक समझ कर ५ सितम्बर सन् १८९३ ई० मे गवन्मेंट हाईस्कूल बुलन्दशहर में केवल १२) मासिक के वेतन पर अध्यापकी का कार्य प्रारम्भ कर दिया जहां से लगभग १० वर्ष के प. श्चात् वेतनवृद्धि पर सन् १६०३ में ता०३१ अक्तूबर को मुरादाबाद जिले के अमरोहा गवन्मट हाईस्कूल को बदली हो गई । इसी स्कूल से ता० १ जूलाई सन् १९०४ से ३० अप्रैल सन् १९०५ ई० तक १० मास के लिये डियट होकर गवमैंट सैंट्रल ट्रेनिंग कालिज, इलाहाबाद से अप्रैल सन् १६०५में शिक्षा विभाग का ट्रोनिंग पास करके और फिर इसी सन् के मई मास में स्पेशल वने क्यूलर (हिन्दी उर्दू) में पास करके १० जूलाई सन् १९१७ तक लगभग १३ वर्ष तक उपरोक्त अमरोहा ग० हाईस्कूल में सहायक अध्यापिकी का कार्य २०) के वेता से ६०) के वेतन तक पर किया । पश्चात् ता० १० जूलाई सन् १९१७ को अवध प्रान्त के बाराबङ्की ग० हाईस्कूल को समान वेतन पर बदली हुई जहां कई बार वेतनवृद्धि होकर अब १२०) के वेतन पर इसी स्कूल में सहायक अध्यापकी का कार्य कररहे हैं । और अब केवल ३मास और रह कर ता०३० जुलाई सन् १९२५ से पेंशनर होकर गवन्मेन्ट सर्विस के कार्य से मुक्त हो जायेंगे। (५) विवाहसंस्कार---उर्दू मिडिल पास करने के कुछ मास पश्चात् कस्वा जेवर
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