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________________ १४ार १५०१ ( ४२ ) शब्द पृष्ठ । कालम | शब्द पृष्ठ । कालम अनुजीवी गुण ५५। | अभक्ष्य २२ ( अखाद्य ), नोट ४४१,2 ५२४ अनुरारोपपादिक दशांग १२२॥१ अभयकुमार २५। २,१२३११ नोट अनुपगूहन अभिचन्द्र ४३12 अनुपरोधा करण अम्भोधि ४४।१ अनुपस्थापन प्रायश्चित ५०१ अनुव्रत अभ्यन्तर तप ६, नोट ३ २७४।2 अनुभय वचन १२६ । १ अयाज १४९। 2 अनुमानाभास २२१११ अर्ककीर्ति . . २७12 अनैकान्तिक हेत्वाभास २०११ अर्जुन (पूर्वभव) अन्तःकृत् केवली, नोट २ १२२।१ | अर्थपद ४०।१ अन्तःकृदशांग १२१॥2 अर्थ प्रकाशिका अन्तरंग धर्मध्यान २०४, अर्थावग्रह ४२ । १, २२६।१ अन्तरंग तप ६, नोट ३ १३४, अर्हद्दास कवि - २२० 1 2 अन्तर द्वीप ४८ २५३११ अर्हन्त (अर्थ), नोट २ १७४ । १ अन्तर द्वीप ४५४१९५४, २५८/१,२,२५६।१,2 | अर्हन्त पासा केवली . २४।१ अन्तरमार्गण २२३॥2 अलौकिक गणित 8०।१, १०६।१ 8०।१, अन्तराय ( भोजन ) ४,४४ ५३,, अवर्ग . २०१३ अन्तरीक्ष निमित शान, नोट ४ २५३।१,२ | अवर्गधारा २०१२ अन्धक वृष्णि ४३.2 अवर्गमूल अग्धपिक, नोट २ १२४६१ अवात्सल्य १४१ अन्यदृष्टी प्रशंसा १४॥2 । अविद्धि, नोट १२४॥ अन्यदृष्टी संस्तव | अविनाशी पद ३०१ अन्वय दृष्टान्ताभास २२१, अविपाक निर्जरा २०१२ अपघात १५.१ अशुद्ध प्रशस्त निदान ६९/2 अपरोपरोधाकरण १४६१ अष्ट अगद ऋद्धि ५०११,२ अपवर्तनघात १६॥2 अष्ट अप देवियों ( इन्द्र की ) १५७११ अपहृत संयम २८१ अष्ट अङ्ग (शरीर के) ८०२ अपायविचय धर्मध्यान ३५॥2 अष्ट अङ्ग (निमित्त शान) . १९७१ अपिंड प्रकृति २८ अष्ट अंग (गणित) १०३२ अप्रभावना સ્કાર অg অন মাথা २२३३२ अप्रशस्तकर्म अष्ट उपामलोकोत्तरमान १०६।१,२ अप्रशस्त निदान विटामा अष्ट ऋद्धि (नाम) ४२२२ अप्राप्यकारी इन्द्रियां २२६।१ अष्ट गन्धर्व विद्या १५-१ अबुद्धिपूर्वा निर्जरा • २०12 | अष्ट गुण (सिद्धों के) પૂજાર १४, ८४।१ . Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016108
Book TitleHindi Sahitya Abhidhan 1st Avayav Bruhat Jain Shabdarnav Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB L Jain
PublisherB L Jain
Publication Year1925
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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