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कोष्ठ ३
( २६५ ) अढ़ाई द्वीप के पांचौ मेरु सम्बंधी ५ भरत और ५ ऐरावत क्षेत्रों की त्रैकालिक ३०चौबीस। जम्बद्वीप भरत क्षेत्र (सुदर्शन मेरुके दक्षिण) _ ऐरावत क्षेत्र (सुदर्शन मेरु के उत्तर )
अतीत वर्तमान | अनागत । अतीत घेतमान | अनागत | २४ तीर्थकर | २४ तीर्थकर | २४ तीर्थकर ३४ तीर्थकर २४ तीर्थकर | २४ तीर्थकार । २ श्री निर्वाण श्रीऋषभदेव श्री महापद्म | श्री पंचरूप श्री वालचन्द्र श्री सिद्धार्थ
(आदिनाथ) २, सागर , अंजितनाथ ,, सूरदेच ,, जिनधर |, सुव्रत ,, विमल
| (जिनदेव) ३ ,महासाधुदेव , संभवनाथ ,, सुप्रभ ...,, सांप्रतीक | ,, अग्निसेन , जयघोष
(सुपाच) (संपुटिक) ४, विमल प्रभ , अभिनन्दन ,, स्वयंप्रभ, उर्जयन्त , नन्दसेन , आनन्दसेन
.( उर्द्धत)
(नंन्दिसेन) |, श्रीधर , सुमतिनाथ , सर्वायुध , अधिक्षायक , श्रीदत्त , स्वर्गमंगल (श्रीशुद्धाभ)
(सर्वात्मभूत) , दत्तनाथ , पद्मप्रभु ,, जगदेव । ,, अभिनन्दन , व्रतधर , অসুখ (सुदत्त)
देवपुत्र) ,, अमलप्रभ सुपाव , उदय देव , रत्नेश |सोमचन्द्र , निर्वाण
(कुल पुत्र) ,, उद्धरनाथ ,चन्द्रप्रमु
|, रामेश्वर |, धृतदीर्घ , धर्मध्वज (प्रभादेव)
(दीर्घसेन) ६, अग्निनाथ |, पुष्पदन्त , प्रश्नकोति, अंगुष्ठिक . शतपुष्पक , सिद्धसेन (सुविधिनाथ) (प्रौष्टिल)
शतायुधअजित २० , सन्मति
, शीतलनाथ , जयकीर्ति , विन्यास ,, शिव शत,महासेन
(उदयकीर्ति २१ ,, संगमसिंधु ,श्रेयांशनाथ ,, मुनिसुव्रत, आरोष , श्रेयांश |, रविमित्र १२, कुसमांजलि, वासुपूज्य , अरनाथ | ,, सुविधान |, श्र ति जल |,, सत्यसेन | (पप्पांर्जाल)
(अमम)
| (स्वयंजल) १३,शिवगणाधिप, विमलनाथ ,, निःपाप ,विप्रदत्त सिंहसेन 1, चन्द्रनाथ (पूर्णबुद्ध) (प्रदत्त)
(श्रीचन्द्र ) २४, उत्साह प्रभ , अनन्तनाथ ., निः कषाय ,, कुमार | , उपशान्त ,,महीचन्द्र
| (महेन्द्र) १५ , ज्ञानेश्वर, धर्मनाथ | ,, विपुल , सर्व शैल
" सब शल "गुप्तासन
"श्र तांजन (ज्ञाननेत्र) विमलप्रभ)
| (स्वयंज्वल) , परमेश्वर | , शान्तिनाथ,निर्मळ (बहुल) , प्रभजन
, अनन्तवीर्य श्री देवसेन
(महावार्य) ,, विमलेश्वर , कुन्थु नाथ , चित्रगुप्त , सौभाग्य , पार्श्वनाथ श्री सुव्रत , यशोधर
| " अरनाथ , समाधिगुप्त ,, दिवाकर | ,, अभिधान श्री जिनेन्द्र (यथार्थ) कृष्णचन्द्र |, मल्लिनाथ | ,, स्वयंभुव , व्रतविन्दु , मरुदेव श्री. सुपार्श्व
(ध्वनिविन्दु) ज्ञानमति ,, मुनिसुव्रत ,, कन्दर्प
|, श्रीधर श्री सुकोशल .(अनिवृत) | ,, ममिनाथ
|, जयनाथ | , ज्ञानशरीर , श्याम कंठ श्री अनन्त ,, मेमनाथ
,, विमलदेव , कल्पद्रुम | ", अग्निप्रभ श्री विमलप्रभ अतिक्रान्त , पार्श्वनाथ | ., देवपाल |, तीर्थ नाथ, अग्नि दत्त श्री अमृतसेन
(दिव्यवाद) , शान्तिनाथ, महावीर ,, अनन्तवीर्य , वीरमप्रभ , वीर सेन श्री अग्निदत्त (वर्द्धमान)
(फलेश)
शुद्धमति
श्रीभदा
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