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________________ ( २३२ । अउत्तरजोपविपाकीकर्मप्रकृतियां वृहत् जैन शब्दार्णव अठत्तर विदेहनदी के पांच भागों में यथाक्रम नं० २१, १३, १४, । [१] पूर्व विदेह के १६ विदेह देशों में से १५, १६, इन ५ की बन्धव्युच्छित्ति होती है। प्रत्येक देश में दो दो नदियां, एवम् ३२ (३) दशम गुणस्थान के अन्तिम [२] पश्चिम विदेह के १६ विदेह देशों में समय में नं० १ से तक, नं०५०, और नं० से प्रत्येक देश में भी दो दो नदियां, एवम् | ५३ से ५८ तक, इन १६ की बन्धव्युच्छित्ति | ____ ३२ । सर्व ६४ ॥ होती है ॥ ३. विभंगा नदियां १२-(१) पूर्व (४) तेरह गुणस्थान के अन्त में शेष विदेह की सीता नदी की उत्तर दिशा में १ कर्मप्रकृति २०१२ की बन्ध व्युच्छित्ति गाधवती, द्रहवती, पङ्कवतो, (२) सीता नदी की दक्षिण दिशा में तप्तजला, मत्तः ___नोट ३-बन्ध योग्य सर्व १२० कर्म- जला, उन्मत्तजला, (३) पश्चिम विदेह की प्रकृतियों में से उपर्युक्त ५८ के अतिरिक्त शेष सीतोदानदी की दक्षिण दिशा में क्षीरोदा, ६२ की बन्ध व्युच्छित्ति अष्टम गुणस्थान से सीतोदा, श्रोतोवाहिनी (४) सीतोदा नदी पूर्व के गुणस्थानों के अन्त में इस प्रकार से की उत्तर दिशा में गम्भीरमालिनी, फेन होती है कि प्रथम गुणस्थान में १६ की, | मालिनी, ऊर्मिमालिनी ॥ द्वितीय में २५ की, चतुर्थ मैं १० की, पंचम नोट.- उपयुक्त ७८ 'मुख्य नदियों के में ४ की, षष्टम में ६ की और सप्तम में एक अतिरिक्त विदेहक्षेत्र में १४ लाख परिवार की। नदियां और हैं जो निम्न प्रकार हैं:_(गो० क० ९५-१०२) . [१] गङ्गासिन्धु समान जो ६४ नदियां अठत्तरजीवविपाकीकर्मप्रकृतियां- हैं उनमें से प्रत्येक नदा की परिवार नदियां चारों घातिया कर्मों की सर्व ४७ १४ सहसू हैं । अतः सर्व परिवार नदियां ६४ गुणित १४००० अर्थात् ८९६००० हैं। ऊत्तरप्रकृतियां और चारों अघातिया कर्मों | [२] विभंगा १२ नदियों में से प्रत्येक की १०१ में से ३१ प्रकृतियां जीवविपाकी हैं । (पीछे देखो शब्द 'अघातियाकर्म' की परिवार नदियां २८ सहसू हैं । अतः और उसके नोट नं० ९, १०, पृ०८४,८५)॥ सर्व परिवार नदियां १२ गुणित २८ सहसू अर्थात् ३३६००० हैं। (गो० क०४८-५१) (३) देवकुरु में सीतोदा नदी के पूर्व अठत्तर विदेहनदी-जम्बूद्वीप के सप्त पार्श्व में ४२ सहस और पश्चिम पार्श्व में क्षेत्रों में मध्य का जो 'विदेह' नामक क्षेत्र ४२ सहस, एवम् सर्व ८४००० परिवार है उसमें मुख्य नदियां सर्व ७८ हैं जिनका नदियां सीतोदा नदी की हैं। विवरण निम्न प्रकार है : ___ (४) उत्तरकुरु में सोता नदी के पूर्व १. जम्बूद्वीप की सर्व १४ महा नदियों और पश्चिम पावों में से प्रत्येक में ४२ में से २--[१] सीता पूर्वनिदेह में [२] सहसू, एवम् सर्व ८४००० परिवार नदियां सीतोदा पश्चिमविदेह में। सीता नदो की हैं। २. गङ्गा सिंधु समान नदियां ६४- इस प्रकार विदेहक्षेत्र की सर्व परिवार - | - Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016108
Book TitleHindi Sahitya Abhidhan 1st Avayav Bruhat Jain Shabdarnav Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB L Jain
PublisherB L Jain
Publication Year1925
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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