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. ( १९८ ) अजीवतग हिंसा . वृहत् जैन शब्दार्णव
अजीवगत हिंसा
१००. लोभवश अनुमोदित मानसिक८६. लोभवश स्वकृत वाचनिकसमारम्भजन्य हिंसा
संरम्भजन्य हिंसा ८७. लोभवश स्वकृत वाचनिक
१०१. लोभवश अनुमोदित मानसिकआरसभजन्य ,
समारम्भजन्य , ८८. लोभवश स्वकृत कायिक
१०२. लोभवश अनुमोदित मानसिकसंरभजन्य ,
आरम्भजन्य , ८६. लोभवश स्वकृत कायिक
१०३. लोभवश अनुमोदित वाचनिकसमारभजन्य "
. संरम्भजन्य , १०. लोभवश स्वकृत कायिक
१०४. लोभवश अनुमोदित वाचनिकआरम्भजन्य ,
समारम्भजन्य , ६१. लोभवश कारित मानसिक १०५. लोभवश अनुमोदित वाचनिकसंरम्भजन्य
आरम्भजन्य, १३. लोभवश कारित मानसिकसमारभ्भजन्य ,
१०६. लोभवश अनुमोदित कायिक ९३. लोभवश कारित मानसिक
__संरम्भजन्य , आरम्भजन्य. "
लोभवश अनुमोदित का क-मि ६४. लोभवश कारित वाचनिक
समारम्भजन्य , संरम्भजन्य , १०८. लोभवश अनुमोदित कायिक६५. लोभवश कारित वावनिक
आरम्भजन्य , समारम्भजन्य "
नोट -यदि जीवगत हिंसा के ४३२ ६६. लोभवश कारित वाचनिक
भेदों में से प्रत्येक भेद का या यथाइच्छा
आरम्भजन्य " ९७. लोभवश कारित कायिक
चाहे जेथवें भेद का नाम जानना हो अथवा संरम्भजन्य
इसके विपरीत, नाम ज्ञात होने पर यह ९८. लोभवश कारित कायिक
जानना हो कि यह केथवां भेद है तो १०८ समारम्भजन्य भिंदों बाले ऊपर दिये हुए प्रस्तार ही की स९९. लोभवश कारित कायिक- ।मान नीचे दिये हुए दो प्रस्तारों में से किसी
आरम्भजन्य , एक की सहायता से काम लिया जाय:जीवगत हिंसा के ४३२ भेदों का प्रथम प्रस्तार ।
प्रथम पंक्ति | संरम्भजन्य हिंसा समारंभजन्य हिंसा आरम्भजन्य हिंसा
द्वितीय पंक्ति मानसिक
वाचनिक
३ | कायिक
तृतीय पंक्ति स्वकृत
कारित
६ अनुमोदित १८
चतुर्थ पंक्ति कोधवश
... मानवश
२७ | मायावश
५४ लोमवशर
पंचम पंक्ति । अनन्तानुबन्धी ० अप्रत्याख्यानावरणी प्रत्याख्यानावरणी संज्वलन ३२४
१०८
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