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________________ अजाखुरी वृहत् जैन शब्दार्णव अजातशत्रु पादुका और एक शिला लेख है। मार्ग में | उत्पन्न हुई पुत्री ॥ हिन्दुओं के कुंडलील, गणेशधारा, गोमुबी . सुसीमा (सुशीला )--सुराष्ट्रदेश | आदि पड़ते हैं। यहां से आगे तलहटी की (गुजरात-काठियावाड़) की राजधानी गिरिधर्मशाला तक लौट आने का वही मार्ग है नगर ( अजाखुरी ) के राजा राष्ट्रवद्धन जहां होकर पहाड़ पर चढ़ते हैं ॥ गुणशालि वर्द्धन ) और उनकी रानी ___ नोट ६.- इस पहाड़ पर बन्दना के लिये | ज्येष्ठा (विजया) की पुत्री ॥ हिन्दू और मुसल्मान आदि सब ही यात्री ५.लक्ष्मणा--सिंहल द्वीप के सुप्रकारआते हैं। श्रीनेमिनाथ की मूर्ति को हिन्दू पुर नरेश राजा “शम्बर'' (इलक्षणरोम) और यात्री "दत्तात्रय" मान कर और उनकी विशाल उनकी रानी हीमती ( कुरुमती) की पुत्री ॥ चरण पादुकाओं को मुसलमान यात्री "बाबा ६. गान्धारी-गन्धार देश की राजआदम" के चरणों के चिन्ह मान कर पूजते धानी पुष्कलावती के राजा “इन्द्रगिरि" और हैं। यह पहाड़ जैन, हिन्दू और मुसल्मान सर्व उनकी रानी “मेरुमती" की पुत्री ॥ हीका तीर्थस्थान होने से ही सब ही के द्रव्य ७. गौरी-सिन्धु देश की राजधानी दान से इस पहाड़ पर चढ़ने की उपर्युक्त | "वीतशोकापुरी” के राजा मेरुचन्द्र" की सात सहस्र से अधिक सीढ़ियां बनवाई रानी चन्द्रवती की पुत्री। गई हैं। ८. पद्मावती-अरिष्टपुराधीश राजा __नोट ७.-गिरि नगर ( गिरिनार या अ- "स्वर्णनाभ" (हिरण्यनाभ, हरिवर्मा) और जाखुरी) के उपयुक्त राजा "राष्ट्रवर्धन" की उनकी रानी 'श्रीमती' (श्रीकान्ता) की पुत्री एक परम सुन्दरी पुत्री "सुसीमा" नामक श्री नोट ८-श्री कृष्ण की उपयुक्त कृष्ण की आठ पटरानियों में से एक थी॥ | प्रत्येक पटरानी का चरित्रादि जानने के लिये श्री कृष्ण की आठ पठरानियां यह थीं:- देखो ग्रन्थ "वृहत् विश्व चरितार्णव"॥ .. १. सत्यभामा-रजिताद्रि पर्वत (वि-भजातकल्प- अगीतार्थ का 'आचार जयार्द्ध या वैताढ्य पर्वत ) की दक्षिण श्रेणी (अ. मा. अजाय कप्प)॥ पर के रथनूपुरा(श विद्याधर राजा सुकेतु अजातशत्र-(१) जिसका कोई शत्रु की पुत्री जो उनकी रानी स्वयंप्रभा के उदर न जन्मा हो या जो जन्म ही से किसी का से उत्पन्न हुई थी॥ शत्रु न हो । २. रुक्मिणी-विदर्भ देश के प्रसिद्ध (२) मगधदेश का एक प्रसिद्ध राजा। नगर कुंडलपुर के राजा 'वासव" जो 'भीम' यह राज्य प्राप्त करने से पूर्व "वोनाम से प्रसिद्ध थे उनकी “श्रीमती'' नामक णिक” या 'कुणिक' नाम से प्रसिद्ध था। रानी के उदर से उत्पन्न हुई पुत्री ॥ यह 'शिशुनाग वंशी महामंडलेश्वर राजा ३. जाम्बवती-विजयार्द्ध पर्वत की | 'श्रेणिक बिम्बसार' का ज्येष्ठ पुत्र था उत्तर श्रेणी पर के जम्बुपुर ( जांबध ) नामक जो उसकी 'घेलना' रानी के गर्भ से जन्मा नगर के विद्यावर राजा "जाम्बव" की था। इस के सहोदर लघु भाता (१) रानी शिवचन्द्रा (जम्बुषेणा) के उदर से | वारिषेण (२) हल्ल (३) विदल (४) जित - RDERA Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016108
Book TitleHindi Sahitya Abhidhan 1st Avayav Bruhat Jain Shabdarnav Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB L Jain
PublisherB L Jain
Publication Year1925
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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