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________________ ४६१७. अम्मां मोरी सांभल बात है... ३६६२. अम्ह घर रङ्ग... ६५१४. अम्हारइ हे आज बधामणां... ६२४०. अरज अरिहंत अवधारियै जी... ४९०४. अरज करूं कर जोड ने... ४१७६. अरज सुणउ... ४८८८. अरज सुणउ जिन पांचमां... ६९७६. अरज सुणीजे दीजै... ७०६७. अरज सुणो गुरु... ७०३३. अरज सुणो वामाजू के नन्द... ४७१७. अरज सुणौ सहेलीयां रे लाल... ६४४८. अरणिक मुनिवर चाल्या गोचरी... ५५१५. अरदास हमारी... ३९९९. अरहन्त ना गुण पय सही... ६४५२. अरिहंत केवलज्ञान अनंत... ३९३१. अरिहंत देवने नमन करीने... ६७५५. अरिहंत देहरइ आविनइ... ५१२७. अरिहंत सिद्ध पवयण... ५५१०. अरिहंतादिक नवपद चितधरी... ३९३७. अरिहंतादिक पद तणो... ६५६३. अरी मोकू देहूँ वधाई... ६१६३. अरे मन तहां जाइयै... ४५२८. अरे लाल धिग धिग... ४५२१. अरे लाल श्री वासुपुज्य नमी कर.... ४४७४. अरे लाल समुद्रविजय कुल चन्दलो... ५७७६. अरे लाल सुन्दर रूप सुहामणौ... ६१९१. अर्ज सुनो गुरुदेव... ५९१६. अलवेसर आज भले... ४९५५. अलहियौ कैसी बात कहूं... ६९६९. अवधू धरीयै न करीयै आसा... ४४१५. अवल आंसल आदीश्वरा... ५५५१. अवल कुशल आदीशवर... ६७९१. अवलियउ अकबर तास अंगज... ३५२४. अविकल कुल इक्ष्वाकु... ६०५२. अविचल लक्ष्मी विमल... ३११०. अश्वसेन रा के बाग में.. ४००७. अश्वसेन वर वंश... ३५०४. अष्ट कर्ममल क्षय करी... ६८२१. अष्टापद हो ऊपरलो प्रासाद.... ५९७७, अहो आवौ वे यार वैठो दरबार... ५५७८. अहो ऋषि धन... ६०७९. अही जनम सफल भवियण करै... ५१०६. अहो जिनवरजी निके नयण निहारे... ५९६८. अहो श्री विमलाचल के धणीजी... ७०११. आए गुरुवर आए... . ३९०५. आओ मनायें आज... ५०७७. आंखलड़ी रे... ६८१७. आंगण कल्प फल्योरी हमारे माइ... ६७१२. आंपणे घर बैठा लील करउ.... ६४०६. आओ आओ दादा..... ७०८२. आ करते है वंदना... ६०५३. आखंड मै हुं तैंडी गुण गल्लां... ६५६७. आचारिज तुमे मन मोहियो... ६१३५. आज अपूठा कांई सूता रे.... ४३७०. आज आणंद धन ऊमट्यो रे... ३१९५. आज आणंद भयो सखी मेरे तो... ३१९६. आज आणंद भयो सुण सजनी री... : ३६११. आज आणंद मुझ अति घणौरे... ५६००. आस आणंद वधावणा... ६११३. आज आणंद सवायउ... ६५२५. आज आणंदा हो आज आणंदा... ६८६४. आज आधार छइ सूत्रनउ... ७०१६. आज आनंद... ७०१९. आज आनन्द... ३२१७. आज आनंद घन वरसै मिंदर में... ३२०४. आज आनन्द भयो सुगुरु मेरे ६०४२. आज उछरङ्ग आणंद अङ्गि... ६०६८. आज उछरङ्ग आणंद अंगि ऊपनौ... ६९०९. आज ऋषभ घरि आवे... ६४१६. आज करो रे उच्छाह... ७०१८. आज की घड़िया... ५८५६. आज की घड़ी म्हारे... ६५६४. आज कुं धन दिन मेरउ... ५५८७. आज कृतारथ हुँ थयो... ५७४ तृतीय परिशिष्ट Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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