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६५०७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, घंघाणी तीर्थ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६६२, 'आदि-पाय प्रणमूं रे पदपंकज प्रभु पासना... गा. २४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २३२
६५०८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, घड़ियाली गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - चतुर सुणउ चित्त लाइ कइ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३८ ६५०९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, घड़ी लाखीणी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-घड़ी लाखीणी जाइ बे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४२७ ६५१०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चत्तारि अठ्ठ इस दोय पद विचार गर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - जिनवर भत्ति समुल्लसिय... गा. १७ ', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २२४
६५११. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चन्द्रप्रभ भास चन्द्रवारि मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि - चन्द्रप्रभ भेट्यइ मंइ चंदवारि... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९६
६५१२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चन्द्रप्रभ स्तवन पाल्हणपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६७१,‘आदि- सेवो श्री चन्द्रप्रभ स्वामी... गा. १२', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९३
६५१३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चार प्रत्येक बुद्ध संलग्न गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि चिहुं दिशि थी चारे आवीया... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २४७
६५१४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चार मङ्गल गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - अम्हारइ हे आज बधामणां... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४८१ ६५१५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चार मङ्गल गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - श्री. संघनइ मङ्गल करउ ए... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४८२ ६५१६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चार मङ्गल शरणा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मुझनइ चार शरणा हो जो... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४८३ ६५१७. समयसुन्दरोपाध्याय / संकलचन्द्रगणि, चिलातीपुत्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पुत्री सेठ धन्ना तणी... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २७५
६५१८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चुलणी भास, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ‘आदि-नयरी कंपिल्ला नउ धणी... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३३२ ६५१९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चौरासी लक्ष जीव योनि क्षामणा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-लख चउरासी जीव खमावइ... गा. ३', मु., संमयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४८३
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खरतरगच्छ साहित्य कोश
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