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६४४५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अन्तरङ्ग शृङ्गार गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, 'आदि हे बहिनी महारउ जोयउ सिणगार हे... गा. १३', मु., समयसुन्दर कृति
कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५६ ६४४६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अन्त समये जीव निर्जरा गीत, गीत स्तवन,
राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–इण अवसर करि रे जीव शरणा... गा. १०', मु., समयसुन्दर कृति
कुसुमाञ्जलि, पृ. ४८४ ६४४७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अयवंती सुकुमाल गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, 'आदि-नयरि उज्जयिनी मांहि वसइ... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि,
पृ. २४९ ६४४८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अरहन्नक मुनि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, आदि-अरणिक मुनिवर चाल्या गोचरी... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि,
पृ. २५१ ६४४९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अरहन्नक मुनि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, आदि-विहरण बेला पांगुरह्यो हां... गा.९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २४९ ६४५०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अरहन्नक साधु गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, 'आदि-विहरण वेला रिषि पांगुरय्यो... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि,
पृ. २५० ६४५१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अरिहंत पद स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, आदि–हां हो एक तिल दिल में आवि तुं... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि,
पृ. २१९ ६४५२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अल्प बहुत्व गर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, 'आदि-अरिहंत केवलज्ञान अनंत... गा. २२', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि,
पृ. २२६ ६४५३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अष्टापद तीर्थ भास, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, 'आदि-मनडुं अष्टापद मोह्यं माहरु रे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि,
पृ.७३ ६४५४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अष्टापद तीर्थ भास, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, आदि–मोरं मन अष्टापद सुं मोयु... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६१ ६४५५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आत्म प्रबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
'आदि-बूझी रे तू बूझि प्राणी... गा.७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४२५ ६४५६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आदित्यशादि ८ साधु गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, 'आदि-भावना मनि सुद्ध भावउ... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २५७
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खरतरगच्छ साहित्य कोश
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