________________
६१६८. लालचन्द्र / सोमहर्ष, जिनवाणी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. क्षमाकल्याण
संग्रह, बीकानेर ६१६९. लावण्यकीर्त्तिगणि / ज्ञाननन्दीगणि, आत्मानुशासन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
'आदि-भजि भजि भजि भगवंत... गा. २७', अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर,
रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ६१७०. लावण्यकीर्तिगणि / ज्ञाननन्दीगणि, कुन्थुनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि
घड़ी सुलेखइ आज री... गा. ६', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ६१७१. लावण्यकीर्त्तिगणि / ज्ञाननन्दीगणि, जिनसिंहसूरि रागमाला गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, आदि-जुरि आएस वसंत... गा. १२', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ६१७२. लावण्यकीर्त्तिगणि / ज्ञाननन्दीगणि, पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि
नंदन वामाकउ देव... गा. ३', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ६१७३. लावण्यकीर्त्तिगणि / ज्ञाननन्दीगणि, शान्तिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
___ 'आदि-संत निंद इतनी बात कहूं... गा. ३', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ६१७४. लावण्यकीर्त्तिगणि / ज्ञाननन्दीगणि, शान्तिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
- 'आदि-सदा सुखकारी अचिरानन्द... गा. ३', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ६१७५. वर्द्धमान नवलखी, जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-धन ते दिन मुझ ने
कब हुवइ रे... गा. ३६', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ६१७६. वसता मुनि ( वस्तुपाल, विनयभक्ति) / तत्त्वसुन्दर, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन,
राजस्थानी, १९वीं, 'म्हारा सेंण वालो...७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३५१ ६१७७. वसता मुनि (वस्तुपाल, विनयभक्ति) / तत्त्वसुन्दर, जिनलाभसूरि गीत, गीत स्तवन,
राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जिनशासन शिणगारा... गा. १०', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य
संग्रह, पृ. २९५ ६१७८. वसता मुनि (वस्तुपाल, विनयभक्ति) / तत्त्वसुन्दर उ०, जिनलाभसूरि द्वावैत, गीत .. स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-धवल धणि मोदक धणी..., अन्त–अविचल जां गिर मेरु
इलम', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६१७९. वसता मुनि (वस्तुपाल, विनयभक्ति)/ तत्त्वसुन्दर उ०, तिरेसठ सिलाकापुरुष स्तवन,
गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सद्गुरु चरण कमल मनधारं... गा. १८', मु. . बृहद्स्तवनावली, पृ. २६ ६१८०. वसता मुनि (वस्तुपाल, विनयभक्ति) / तत्त्वसुन्दर, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन,
राजस्थानी, 'आदि-जोर बन्यो जोर बन्यो जोर बन्यो राज... गा. ८', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१२४)
खरतरगच्छ साहित्य कोश
451
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org