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२४०३. विज्ञप्तिपत्र, ज्ञानतिलकोपाध्याय / धर्मवर्द्धनगणि, विज्ञप्ति, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. अभय
ग्र., बीकानेर २४०४. विज्ञप्तिपत्र जिनसुखसूरि प्रति, ज्ञानतिलकोपाध्याय / धर्मवर्द्धन उ०, विज्ञप्ति, संस्कृत,
१८वीं, आदि-स्विस्ति श्रियालंकृत ईश्वरोन्य..., अन्त–पवित्रलेखपत्रकं मदीयमाप्तमाशु तत्...',
मु., विज्ञप्तिलेख संग्रह, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, बम्बई २४०५. विज्ञप्तिपत्र-जिनचन्द्रसूरि प्रति., कमलसुन्दरगणि / लावण्यकमलगणि जिनरङ्गीय, विज्ञप्ति,
हिन्दी-संस्कृत, १८वीं जयपुर, 'आदि-स्वस्ति श्री शिवसुखकरण..., अन्त-वाचक
लावण्यकमल पसाय थी रे...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २४०६. विज्ञप्तिमहालेख-लोकहिताचार्य प्रति., मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, विज्ञप्ति पत्र,
संस्कृत, १४३१ पत्तन, आदि-श्रीश्रेयांसि सतां दिशन्तु सततं..., अन्त–श्रीमल्लोकहिताचार्यपादपद्म
गुणोल्बणे...', मु., विज्ञप्तिलेख संग्रह १-३४, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, बम्बई २४०७. विज्ञानचन्द्रिका, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, काव्य, संस्कृत, १८५९ जैसलमेर,
'आदि-मुङ्ग प्रासाद संयुक्ते..., अन्त–श्रियः पतिः सट्गुण...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं.,
जयपुर, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर २४०८. विदग्धमुखमण्डन टीका, विनयसागर उ० / सुमतिकलश पिप्पलक, लक्षणशास्त्र, संस्कृत,
१६६९ सेजपुर , 'आदि-यः कांसामलया पुनाति सततं ..., अन्त-आसीच्छ्री जिनवर्द्धनाभिधगुरु...', अ., ह. वृद्धिचन्द संग्रह, जैसलमेर, रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, विनय.
प्रतिलिपि २४०९. विदग्धमुखमण्डन टीका सुबोधिका, शिवचन्द्रोपाध्याय / लब्धिवर्द्धन पिप्पलक,
लक्षणशास्त्र, १६९९, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., बीकानेर.
रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९९६२ २४१०. विदग्धमुखमण्डन टीका दर्पण, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमल उ०, लक्षणशास्त्र, संस्कृत,
१७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २४११. विदग्धमुखमण्डन अवचूरि, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, लक्षणशास्त्र, संस्कृत, १४वीं,
__ अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २४१२. विदग्धमुखमण्डन बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, लक्षणशास्त्र, राजस्थानी,
१६वीं, अ., ह. कोटडी भं., जोधपुर, विनय. प्रतिलिपि-अपूर्ण २४१३. विद्यानरेन्द्र चौपई, आज्ञासुन्दर / जिनवर्द्धनसूरि पिप्पलक, रास चौपई, राजस्थानी, १५१६,
अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि २४१४. विद्याविलास चौपई, जिनोदयसूरि / जिनतिलक भावहर्षीय, रास चौपई, राजस्थानी,
१६६२ बालोतरा, ‘अन्त–सुगुरु वचनथी संभली पामी गुरु आदेस...', अ., ह. मुकनजी संग्रह, बीकानेर, खजांची संग्रह, बीकानेर
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खरतरगच्छ साहित्य कोश
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