________________
१८७६. बारह भावना सन्धि, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी,
१६४६ बीकानेर, 'आदि-आदीसर जिणवर तणा..., अन्त–इणिपरि बारह भावन जाणी...',
अ., अभय ग्र., बीकानेर १८७७. बारहव्रत चतुष्पदिका, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १५वीं,
'गा. १९', अ., ह. जयचन्द्र संग्रह, बीकानेर १८७८. बारहव्रत चौपई, रास चौपई, अपभ्रंश, 'आदि-वंदिवि वीरु भविय निपुण हु..., अन्त-बारहव्रत
श्रावक संभलउ... गा. १८', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि-पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४२१ १८७९. बारहव्रत चौपई, धर्मसुन्दर उ० / साधुरङ्गगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६२०, 'आदि
पणमवि वीर जिणंदचंद..., अन्त–खरतरगच्छि रे श्रीजिनचंद्रसूरीसरु... गा. २१', अ., अभय
ग्र., बीकानेर १८८०. बारहव्रत की टीप, हर्षकल्याण / प्रीतिमन्दिर, विधि, हिन्दी, १९२०, अ., ह. खरतरगच्छ
ज्ञान भं., जयपुर, स्वयं लि. १८८१. बारहव्रत टिप्पण, अमृतसुन्दरोपाध्याय / माणिक्यमूर्ति उ०, विधि, राजस्थानी, १८७३,
अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १८८२. बारहव्रत टिप्पण, मेघ / जिनमाणिक्यसूरि, विधि, राजस्थानी, १६०९, अ. १८८३. बारहव्रत टिप्पण, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, विधि, राजस्थानी, १६८८, अ., ह.
अभय ग्र., बीकानेर १८८४. बारहव्रत रास, आनन्दकीर्त्ति / हेममन्दिरगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६८०, अ., ह.
विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १८८५. बारहव्रत रास , कमलसोमगणि / धर्मसुन्दर वा., रास चौपई, राजस्थानी, १६२० सारङ्गपुर,
'आदि-पणमवि वीर जिणिंद चंद..., अन्त–खरतर गच्छिरे श्री जिनचंद्र सूरीसरु...', अ.,
अभय ग्र., बीकानेर, बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १८८६. बारहव्रत रास , गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६५५, आदि
जिनह चउवीसना पाय प्रणमी करी..., अन्त-श्री खरतर गछि गयण दिणिंदो...', अ., संघ
भं., पाटण १८८७. बारहव्रत रास , जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६४७ तथा
१६५०, 'आदि-चउवीसे जिणवर नमी..., अन्त-जिनचंद्र सूरि गुरु श्रीमुखई...', अ., अभय
ग्र., बीकानेर, बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १८८८. बारहव्रत रास , जिनचन्द्रसूरि / जिनमाणिक्यसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६३३, आदि
पास जिणेसर पय नमीजी..., अन्त–संवत सोलह सय तेतीयई...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ
भाग-१, पृ. २२९ १८८९. बारहव्रत रास , विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७९, अ.
खरतरगच्छ साहित्य कोश
__
143
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org