________________
१७३६. पूजा - वीस स्थानक पूजा, मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी,
२०४७ नाकोड़ा, 'आदि-सुखसागर जिनपति नमो..., अन्त-गायो गायो रे गायो गायो रे रे रस
जिनवाणी बरसायो...', मु., पूजन सुधा, पारस प्रकाशन, नई दिल्ली १७३७. पूजा - वीस स्थानक पूजा, शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, पूजा, राजस्थानी, १८७१
____ अजीमगंज, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ३०६ १७३८. पूजा - वेदनीय कर्म निवारण पूजा, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, पूजा,
हिन्दी, २१वीं, 'आदि-सुख दुख इस संसार में..., अन्त-पूजन कर पाओ...', मु., बृहत् पूजा
संग्रह, कलकत्ता १७३९. पूजा - शासनपति पूजा, चतुरसागर / जिनकृपाचन्द्रसूरि, पूजा, हिन्दी, १९७०, 'आदि
सरस्वती जगदीश्वरी..., अन्त–नाथ तेरे चरणकमल पर वारी...', मु., जैन रत्नसार १७४०. पूजा - शान्तिनाथ पञ्चकल्याण पूजा, मणिप्रभसागर उ० / जिनकांतिसागरसूरि, पूजा,
हिन्दी, २०४६ जयपुर, 'आदि-शांतिनाथ प्रभु सोलवां..., अन्त-गायो गायो रे जिन शासन...',
मु., पूजन सुधा, पारस प्रकाशन, नई दिल्ली १७४१. पूजा - श्रुतज्ञान पूजा, राजसोमोपाध्याय / तिलकधीर उ०, पूजा, राजस्थानी, १९वीं, अ. १७४२. पूजा - संघ पूजा, सुमतिमण्डन उ० (सुगनजी) / धर्मानन्द उ०, पूजा, हिन्दी, १९६१
बीकानेर, 'आदि-संघ चतुर्विध वंदियै..., अन्त-भवि तुम पूज करौ हितकारी...', अ., उ.
जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ३७९ ।। १७४३. पूजा - सतरह भेदी पूजा, चिदानन्द (कपूरचंद) / चुन्नीजी, पूजा, हिन्दी, २०वीं उज्जैन, अ. १७४४. पूजा - सतरह भेदी पूजा, नयरङ्ग वा. / गुणशेखर वा., पूजा, राजस्थानी, १६१८ खम्भात,
अ., ह. उदयचन्द संग्रह, जोधपुर, अभय ग्र., बीकानेर १७४५. पूजा - सतरह भेदीपूजा, जिनगुणप्रभसूरि शिष्य / जिनमेरुसूरि बेगड़, पूजा, राजस्थानी,
१७वीं, 'आदीजिन पमुह... ३५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ १७४६. पूजा - सतरह भेदीपूजा, जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पूजा,
राजस्थानी, १७१८ प्रारम्भ, पूर्ण सूरत, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर गुटका, नं. ४१५ १७४७. पूजा - सतरह भेदीपूजा, मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी, २०४७
पादरु, 'आदि-वीर जिनेश्वर साहिबा..., अन्त-गायो गायो रे गायो गायो रे...', मु., पूजन सुधा,
पारस प्रकाशन, नई दिल्ली १७४८. पूजा - सतरह भेदीपूजा, वीरविजय / तेजसारगणि, पूजा, राजस्थानी, १६५३ राजधान्यपुर,
अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १७४९. पूजा - सतरह भेदीपूजा, साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, पूजा, राजस्थानी, १६१८
पाटण, आदि-भाव भले भगवन्तनी..., अन्त-भवि तुं भण गुण...', मु., जिन पूजा महोदधि
खरतरगच्छ साहित्य कोश
133
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org