________________
१६७६. पूजा - अष्टप्रकारी पूजा, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द उ०, पूजा, राजस्थानी-संस्कृत, १८वीं,
'आदि-गंगामागध क्षीनिधि..., अन्त-तद्वत् श्रावकवर्ग एष विधिना...', मु., जिन पूजा महोदधि १६७७. पूजा - अष्टप्रवचनमाता पूजा, सुमतिमण्डन उ० (सुगनचन्द) / धर्मानन्द उ०, पूजा,
हिन्दी, १९४० बीकानेर, 'आदि-सुख सम्पद कारक सदा..., अन्त-निरख निरख गुण गाया
हो प्रभु थारा...', मु., जिन पूजा महादधि १६७८. पूजा - अष्टापद पूजा, म० ऋद्धिसार / कुशलनिधान, पूजा, हिन्दी, २०वीं, अ., उ. जैन
गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ३८२ १६७९. पूजा - अष्टोत्तरी स्नात्र विधि, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, पूजा, संस्कृत,
१७वीं लाहौर, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १४, १९३४ १६८०. पूजा - आदिनाथ पञ्चकल्याण पूजा, मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, पूजा,
हिन्दी, २०४६ जयपुर, 'आदि-आदिनाथ प्रभु से हुई..., अन्त–छायो छायो रे घर-घर में...',
मु. पूजन सुधा, पारस प्रकाशन, नई दिल्ली १६८१. पूजा - आबू पूजा, सुमतिमण्डन उ० (सुगनचन्द)/ धर्मानन्द उ०, पूजा, हिन्दी, १९४०
बीकानेर, 'आदि-श्रीजिनवर आराधिये..., अन्त-गिरींद जस आज मै गायो...', मु., जिन
पूजा महादधि १६८२. पूजा -आयुष्य कर्म निवारण पूजा, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, पूजा,
हिन्दी, २१वीं, आदि-जीवन कारागार सा..., अन्त–चतुर्गति दुःख फल हरणी...', मु., बृहत्
पूजा संग्रह, कलकत्ता १६८३. पूजा - इक्कीसप्रकारी पूजा, चारित्रनन्दी / नवनिधि, पूजा, राजस्थानी, १८९५ बनारस,
'आदि-श्रीजिनवरप्रणमुंसदा..., अन्त–सुणोभविकसुजान जिनपूजोचित्तलायरे...', अ., विनय.
प्रतिलिपि, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १६८४. पूजा - इक्कीसप्रकारी पूजा, देवचन्द्रोपाध्याय ? / दीपचन्द्र उ०, पूजा, राजस्थानी, १८२३,
'आदि-स्वस्तिश्री सुख पूरवा..., अन्त–इगवीश श्रावकगुणवनें...', मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक
मण्डल, पादरा १६८५. पूजा - इक्कीसप्रकारी पूजा, शिवचन्द्रोपाध्याय / समयसुन्दर, पूजा, राजस्थानी, १८६७,
'आदि–मङ्गल हरिचंदन रुचिर..., अन्त–अहो गुण गावे प्रभुजीको...', मु., जिन पूजा महोदधि,
ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९६९१ १६८६. पूजा - ऋषिमण्डल २४ जिन पूजा, शिवचन्द्रोपाध्याय / समयसुन्दर उ०, पूजा, राजस्थानी,
१८७९ जयपुर, 'आदि-प्रणमी श्रीपारस विमल..., अन्त-चरम वीर जिनराया...', मु., जिन
पूजा महोदधि १६८७. पूजा - एकादश अङ्ग पूजा, चारित्रनन्दी / नवनिधि, पूजा, हिन्दी, १८९५, अ., ह. नाहर
संग्रह, कलकत्ता
128
खरतरगच्छ साहित्य कोश
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org