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९९०. जिनसिंहसूरि स्तव, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-प्रभुः प्रदद्यान्मुनिप... गा. २३', अ., ह. विनय प्रतिलिपि, प्रकरण रत्नाकर, भाग-४, पृ. २५५
९९१. जिनस्तुति, जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदिप्रणतसुरनिकायं', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा
९९२. जिनस्तुति - संग्राम दण्डक छन्द, भुवनहिताचार्य, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, 'आदि- नतसुरपति कोटिकोटीर..., अन्त - हिमकरकरहारनीहारहीराट्टहासो...', मु., सुमतिसदन कोटा, सम्पादक म. विनयसागर
९९३. जिनस्तुति टीका- भुवनहिताचार्य, पद्मराजगणि / पुण्यसागर उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६४३, ‘आदि–प्रणयविनयभूतस्रान्त..., अन्त - खरतरगच्छाधिपति श्रीमज्जिनहंससूरिशिष्याणां...', मु., सुमति सदन, कोटा, सम्पादक म. विनयसागर, ह. विनय प्रतिलिपि, हरिसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, पालीताणा
९९४. जिनस्तुति सावचूरि, साधुराज महो, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-आंबा रायणसेलड़ी खंडकुंड', अ., ह. रा. प्रा. वि.प्र., जोधपुर २५९०४
९९५. जिनाज्ञाविधिप्रकाश, चिदानन्द द्वि., विधि, हिन्दी, १९५१ अजमेर, अ., ह. विनय प्रतिलिपि ९९६. जिनेश्वरसूरि संयम श्री विवाहलउ, सोममूर्त्ति / जिनेश्वरसूरि, गीत स्तवन, राजस्थानी, १३वीं, 'आदि चिंतामणि मण चिंततियत्थे..., अन्त-एहु वीवाहलउ जे पढइ...', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३७७
९९७. जिनोदयसूरि गुणवर्णन, पहराज कवि, स्तुति, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-किणि गुणि सोववितवणणं..... अन्त - जिणउदयसूरि गणहर रयणु...', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३९
९९८. जिनोदयसूरि छन्द, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदिजिणसासणवणकापतर सज्जन... गा. १०', अ.
९९९. जिनोदयसूरि पट्टाभिषेक रास, ज्ञानकलशोपाध्याय / जिनचन्द्रसूरि, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-संतिकरणु सिरि संतिनाह..., अन्त - सुहगुरु गुण गायंतु...', मु. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३८४
१०००. जिनोदयसूरि विवाहलउ, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-सयलमणवंछियं कामकुंभोवमं..., अन्त-एह गुरु राय वीवाहलउ जे पढइ... गा. ४४', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३९०
१००१. जिनोदयसूरि स्तुति, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदि-ये ज्ञानामृत सारः, अन्त- भव्या भातारका, अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ७९६७
१००२. जीभदांत संवाद, हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६४३ बीकानेर, 'अन्त - सोल त्रयालइ मगसिरि बीकानेर मंझारि...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर
१००३. जीवदया रास, आसिगु, उपदेश, अपभ्रंश, १२५७, प्र.
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