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९७६. जिनवल्लभीय पंचचरित बालावबोध, कमलकीर्त्ति उ० / कल्याणलाभ उ०, चरित्र,
राजस्थानी, १६९८ जैसलमेर, अ.. ९७७. जिनवल्लभीय महावीरचरित टीका, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चरित्र, संस्कृत,
१६८४ लूण, मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत, ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर ९७८. जिनवल्लभीय महावीरचरित बालावबोध, नयमेरु, चरित्र, राजस्थानी, १६७८, अ., ह. विनय.
प्रतिलिपि स्वयं लिखित ९७९. जिनवल्लभीय महावीरचरित बालावबोध, विमलरत्नगणि / विमलकीर्त्तिगणि, चरित्र,
राजस्थानी, १७०२, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ९८०. जिनवल्लभीय महावीरचरित बालावबोध, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चरित्र,
राजस्थानी, १६६९, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ९८१. जिनवल्लभीय महावीरचरित स्तबक, रामविजयोपाध्याय / दयासिंह उ०, चरित्र, राजस्थानी,
१८१३ बीकानेर, अ., ह. बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ ९८२. जिनवल्लभीय महावीरचरित स्तबक, सुमति / जयकीर्त्ति पिप्पलक, चरित्र, राजस्थानी,
१५वीं, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ९८३. जिनशिवचन्दसूरि रास, लाधाशाह, रास चौपई, राजस्थानी, १७९५ राजनगर, 'आदि-शासन
नायक समरीये..., अन्त–इम रास कीधो सुजस...', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३२१ ९८४. जिनसत्तरीप्रकरण, जिनभद्रसूरि / जिनराजसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १५वीं, अ., ह. नाहर
संग्रह, कलकत्ता, अभय ग्र., बीकानेर ९८५. जिनसागरसूरि अष्टक स्तोत्र, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं,
'आदि-श्रीमज्जेसलमेरुदुर्गनगरे... गा. ८', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १९९ ९८६. जिनसागरसूरि रास, धर्मकीर्त्तिगणि / धर्मनिधान उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६८१,
'आदि-श्री थंमणपुर नउ धणी..., अन्त–तां प्रतपउ गुरु महियलइ... गा. १०२', मु. ऐतिहासिक
जैन काव्य संग्रह, पृ. १७८ ९८७. जिनसागरसूरि निर्वाण रास, सुमतिवल्लभोपाध्याय / जिनधर्मसूरि, रास चौपई, राजस्थानी,
१७२०, 'आदि-समरूं सरसति सामिनी..., अन्त-श्री जिनधर्म सुरीश...', मु., ऐतिहासिक
जैन काव्य संग्रह, पृ. १९१ ९८८. जिनसिंहसूरिपदोत्सवकाव्य (रघुवंश द्वितीय सर्ग पादपूर्ति), समयसुन्दरोपाध्याय /
सकलचन्द्रगणि, काव्य, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, सुमेरचन्दजी संग्रह, बीकानेर ९८९. जिनसिंहसूरि रास, सूरचन्द्रोपाध्याय / वीरकलश उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६६८
पूगलकोट, 'आदि-श्री शांतिसर सेवियइ..., अन्त–तां लगि श्री जिनसिंह गुरुए...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-३, पृ. ८९०, ह. अभय ग्र., बीकानेर
खरतरगच्छ साहित्य कोश
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